जमानत पर रिहा

अपने समय के चर्चित और स्थापित अमेरिकी लेखक डेनिस जॉनसन ने इस कहानी में हमें उन छोटी-छोटी दुर्घटनाओं से अवगत कराया है, जो हमारा भाग्य तय करती हैं। हम ऐसे लोगों से परिचित होते हैं, जो हमारे अस्तित्व के इस तथ्य को स्वीकार करते हैं और अपने आसपास की हर चीज को नियंत्रित करने की कोशिश करने के बजाय बस प्रवाह के साथ बहते रहते हैं। यह सार्वभौमिक युवा है, जो सभ्य समाज में अपने लिए कोई भविष्य नहीं देखता, लेकिन वह हमेशा सभ्य समाज के हाशिये पर मौजूद रहता है। हम जैसे बाकी लोगों द्वारा उसकी उपेक्षा की जाती है, लेकिन वह अपने अस्तित्व के साथ हमारे सबसे पोषित विश्वासों को भी चुनौती देता है।

जमानत पर रिहा

Heroin Molecule is a photograph by Molekuul which was uploaded on 29 July 2016 

अनुवादक: चन्दन पाण्डेय
मूल लेख: Out on Bail 

जैक होटेल को मैंने जैतूनी हरे रंग के थ्री-पीस सूट में देखा, अपने चेहरे पर उमगती तकलीफ को चमक से छुपाए उसने बाल पीछे की तरफ काढ़ रखे थे। वाइन नामक जगह पर जैक को चाहने वाले, उसे जानने वाले और यहां तक कि वे लोग भी जो उसे पहचानते तक न थे, उसके लिए लगातार पेग-दर-पेग खरीदे जा रहे थे। मौक़ा उदासी और आनंद, दोनों का था। जैक पर हथियार की नोक पर लूटने का मुकदमा चल रहा था। अभी वह दोपहर के भोजन के वक्त अदालत से बाहर आया हुआ था। उसने अपने वकील की आंखों में झांका और थाहकर खुद को समझाने लगा कि मुकदमा जल्द ही ख़त्म हो जाएगा। किसी कानूनी गणित के आसरे, जिसे सिर्फ किसी दोषी का मस्तिष्क ही बूझ सकता है, उसने अनुमान लगाया कि उसे पच्चीस वर्षों की कैद होगी।

यह सब इस कदर भयावह था कि इसका होना सिर्फ चुटकुलों में ही संभव था। मैं खुद भी किसी ऐसे आदमी को नहीं जानता था जिसने इस धरती पर इतना लंबा जीवन जिया हो। जहां तक होटेल की बात है, वह अभी अट्ठारह या उन्नीस वर्ष का था।

यह अवस्था किसी गंभीर बीमारी के जैसी रहस्य बन गई थी। इस राज को अब तक बरतने की खातिर मुझे जैक से ईर्ष्या हुई और इस बात का भय भी हुआ कि होटेल जैसे कमजोर युवक को बैठे-बिठाए कुछ इतना शानदार मिल गया कि वह इसकी डींग भी नहीं हांक पा रहा था। एक बार होटेल ने मुझसे सौ डॉलर ऐंठ लिए थे और उसके पीठ पीछे मैं उसकी बुराइयां करता था, फिर भी मैं उसे इस इलाके में आने के पहले दिन से जानता था। उस समय वह पंद्रह या सोलह वर्ष का था। उसने मुझे अपनी परेशानियां बताना ज़रूरी नहीं समझा, इस बात से मैं अचंभित भी था और दुःखी भी। ऐसा लगा जैसे यह कोई पूर्वघोषणा है कि ऐसे लोग मेरे मित्र नहीं हो सकते।

अभी उसके बाल इस कदर साफ़ और चमकीले थे जैसे इस भूमिगत इलाके में भी सूर्य चमक रहा हो और वो भी सिर्फ उसी के लिए।

वाइन नाम की उस जगह को मैंने गौर से देखा। वह लम्बी और संकरी जगह रेल की रुकी हुई बोगी की तरह थी। वहां मौजूद सब के सब कहीं से भागे हुए लग रहे थे—कइयों की कलाई पर अस्पताल के नाम का पट्टा बंधा दिखा। अपनी शराब के लिए वे लोग जाली नोट देना चाह रहे थे, जो उन्होंने ‘फोटोकॉपी’ करके बनाए थे।

“बहुत पहले की बात है,” जैक ने कहा।

“किया क्या था तुमने? किसको लूटा?”

“पिछले वर्ष की बात है भाई, पिछले वर्ष की” ऐसे न्याय को अपने सिर पर लाने जो उसका ताउम्र पीछा करने वाला था, वह खुद पर हंस रहा था।

“किसको लूटा बे, होटेल?”

“अरे यार, मुझसे मत पूछो। फालतू में गांड मर गई” फिर वह आप ही पीछे पलटकर किसी दूसरे से बातचीत में मशगूल हो गया।

वाइन हर दिन नए रंग-रूप में दिखने वाली जगह थी। मेरे जीवन की कुछ भयावह घटनाएं इसी जगह पर घटीं। लेकिन दूसरों की तरह मैं यहां आता रहा। और वे लोग जो मुझे प्यार करते थे, उन्हें यहां न पाकर मेरा दिल बैठ जाता था। तब मुझे याद आता कि घर पर मेरी पत्नी है जो मुझसे प्यार करती है। फिर बाद में यह याद कर मैं दहल उठता कि मेरी पत्नी मुझे कब का छोड़ चुकी है। कुछ देर बाद मुझे अपनी सुन्दर लेकिन शराबी प्रेमिका याद आती, जो मुझे हमेशा खुश रखती थी। लेकिन जितनी बार मैं इस जगह आता कुछ ढके चेहरे दिखते, जिनको देखकर मुझे लगता कि ये ही मेरी सारी समस्याएं हल करेंगे, लेकिन थोड़ी देर में ही वे चेहरे फिर से उदास और सामान्य हो जाते, मेरी ओर देखते और वही गलती करते जो मैंने की थी।

उस रात बैठने के लिए मैंने भूतपूर्व मुक्केबाज किड विलियम्स के सामने की गुमटी चुनी। उसका काला हाथ विकृत हो चुका था। मेरे भीतर अक्सर यह महसूसियत घर किए रहती कि किसी भी पल यह आदमी अपना हाथ बढ़ाएगा और गला दबाकर मेरी हत्या कर देगा। वह दो आवाजों से लैस था। पचास की उम्र होगी और उसने अपना समूचा जीवन व्यर्थ जाने दिया था। ऐसे लोग इसलिए हमारे जैसों के प्रिय होते थे, क्योंकि हमने ज़िंदगी के कुछ ही साल बर्बाद किए थे। अपने सामने किड विलियम्स को देखकर कुछ और महीने यूं ही व्यर्थ करने में कोई आपत्ति महसूस नहीं होती थी। आखिर जब किसी ने पूरी ज़िंदगी व्यर्थ की हो तो उसके सामने कुछ महीने व्यर्थ करना क्या बड़ी बात है।     

अस्पताल के नाम वाली पट्टी की बात मनगढ़ंत नहीं थी। किड विलियम्स भी ऐसी ही पट्टी बांधे हुए था। वह डेटोक्स की दीवार लांगकर वाइन में आया ही था कि ऊंची आवाज में कहने लगा, “कोई मेरे लिए एक पेग खरीद दो, भाई।”

फिर झुंझलाते हुए उसने मद्धिम आवाज में कहा, “मैं यहां बेहद कम समय के लिए आया हूं।’’

पुन: अपनी आवाज में भारीपन लाते हुए कहने लगा, “मैं तुम सबसे मिलना चाहता था! कोई मेरे लिए एक पेग खरीद दे, मेरे पास बटुआ नहीं है, उन लोगों ने सब छीन लिया। चोर कहीं के।”

उसने बार की वैट्रेस को ऐसे पकड़ने की कोशिश की जैसे कोई बच्चा खिलौने की तरफ हाथ बढ़ाता है। उसने केवल रात की कमीज पहन रखी थी, जो उसकी पतलून में टक की हुई थी और नीचे पैरों में अस्पताल की ग्रीर पेपर की बनी चप्पलें।

अचानक ही मुझे याद आया कि होटेल ने, या उसके किसी परिचित ने, बताया था कि हथियार के दम पर लूटने के मामले में जैक मुश्किल में पड़ चुका है। जैक ने बन्दूक दिखाकर उन छात्रों से पैसे तथा ड्रग्स लूट लिए थे, जो खुद कोकेन बेचने का कारोबार करते थे। इन छात्रों ने जैक को सबक सिखाने की ठान रखी थी। मैं भूल गया था कि मैंने इसके बारे में कब सुना था।  

और तभी, मेरे जीवन को और पेचीदा बनाने वाला तथ्य मुझे याद आया, यह सारा समारोह जैक की विदाई के आयोजन में न होकर उसके स्वागत में था। उसे रिहाई मिल गई थी। उसके वकील ने इस अनोखे तर्क की जुगत से जैक को बचा लिया कि वह कोकेन बेचने वालों से अपने समाज के लोगों को बचाना चाहता था। जूरी के सदस्य इस मानसिक कशमकश में फंस गए कि आखिर दोषी कौन है और इस कारण उन्होंने पूरे मामले से हाथ धोने का फैसला किया और उसे बाइज़्ज़त बरी कर दिया। मेरी जैक से उस दोपहर की बातचीत का लब्बोलुआब तो इतना ही था, फिर भी यह समझना मुश्किल था कि आखिर हो क्या रहा है।  

वाइन में इस तरह के बहुतेरे मौके आये—जहां आपको वर्त्तमान अतीत लगे या अतीत सुदूर भविष्य-सा लगे क्योंकि हम सब खुद को किसी त्रासदी का पात्र मानते थे और जमकर शराब पीते थे। हममें हमेशा दुर्भाग्यशाली साबित होने वाली महसूसियत पसरी रहती थी। हम हथकड़ियों में ही मर सकते थे। हमारा होना किसी भी दिन रोका जा सकता था और वो भी हमारी गलती से नहीं होता। कम से कम हमें तो ऐसा ही लगता था।  फिर हर दम ही हमें बेहूदा वजहों से निर्दोष करार दिया जाता था।

होटेल को उसका जीवन वापस कर दिया गया था, वे पच्चीस वर्ष जिसकी उसे सजा हो सकती थी और उससे कहीं ज्यादा। उसके भाग्य से पुलिस वाले इस कदर नाराज थे कि उन्होंने उसे चेतावनी दी कि अगर वह इस शहर में दोबारा दिखा तो पुलिस वाले उसे यहां रुकने के लिए अफ़सोस करा देंगे। वह फिर भी कुछ दिनों के लिए रुका। मगर फिर अपनी प्रेमिका से झगड़कर उसने आखिरकार शहर छोड़ दिया। उसने डेनवर, रीनो और भिन्न-भिन्न पश्चिमी शहरों में नौकरी की और फिर साल भर के भीतर ही लौट आया, क्योंकि उसे अपनी प्रेमिका से दूर रहना गवारा नहीं हो रहा था।

इन दिनों वह बीस या इक्कीस वर्ष का था।

वाइन को ढहा दिया गया। शहर के नवीनीकरण ने सारी सडकों और गलियों को बदल डाला। जहां तक मेरा सवाल है, मैं अपनी प्रेमिका से अलग हो चुका था, लेकिन फिर भी हम एक-दूसरे से दूर नहीं रह पाते थे।

एक रात हम दोनों में झगड़ा हुआ और मैं गलियों में निकल आया। उन गलियों में मैं तब तक चलता रहा, जब तक कि सुबह न हो गई और शराबखाना नहीं खुल गया।

जैक होटेल वहीं मेरे बगल में शराब पीता मिला। वहां हम दोनों जैसे कुछ और भी लोग थे, जिनसे मिलकर हमें राहत मिली।

कभी-कभार इस तरह वापस उन दिनों को जीने के लिए जब सुबह के 9 बजे बैठकर शराब पीते-पीते हम एक-दूसरे से झूठ बोलते थे, मैं अपना सब न्योछावर करने को तैयार रहता हूं।

जैक भी अपनी प्रेमिका से झगडाकर आया था। वह भी इस शराबखाने में इतना ही लंबा पैदल चलकर आया था। हम दोनों तब तक एक-दूसरे का पीने में साथ देते रहे जब तक हमारा पैसा ख़त्म हो गया।

मैं एक मरे हुए किरायेदार को जानता था जिसके नाम हर महीने पेंशन का चेक आता था। पिछले छ: महीने से मैं उन्हें चुरा रहा था। सदा-सर्वदा कांपते हुए मैं यह काम करता था। उस चेक के आने के दो दिन बाद तक मैं इंतज़ार करता और हमेशा सोचता कि कुछ डॉलर कमाने की ईमानदार जुगत निकाल लूंगा। हमेशा इस पर यकीन करता कि मैं ईमानदार हूं, मुझे ऐसा काम नहीं करना चाहिए। हर बार इस डर के साथ मैं यह चोरी करता कि कहीं मेरी चोरी पकड़ी न जाए।

इस बार होटेल भी मेरे साथ चेक चोरी करने गया। मैंने जाली हस्ताक्षर कर चेक पर होटेल का असली नाम लिखकर दे दिया, ताकि वह सुपर मार्केट में इसे भुना सके। जितना मुझे याद है, जैक का असली नाम जोर्ज होद्देल था। यह जर्मन नाम था। हमने उस पैसे से हेरोइन खरीदी और बीच रास्ते में कहीं उसका बंटवारा कर लिया।

तब वह अपनी प्रेमिका को और मैं अपनी प्रेमिका को ढूंढने अलग-अलग निकल गए। मुझे पता था कि मेरे पास ड्रग्स देखकर वह पिघल जाएगी और झगड़ा भूल जाएगी।

लेकिन पूरी रात जगने और शराब पीने से मेरी हालत खराब हो गई थी। जैसे ही हेरोइन मेरे भीतर गई, मैं बेसुध हो गया। दो घंटे कैसे बीत गए मुझे पता ही नहीं चला।

मुझे लगा कि मैंने बस आंख झपकाई, लेकिन जैसे ही आंखे खुली, मैंने देखा कि मेरी प्रेमिका और मेरा एक मेक्सिकी पड़ोसी मुझे होश में लाने के लिए जी-जान लगा रहे हैं। मेक्सिकी कह रहा था, “अब लग रहा है बच जाएगा।”

हम तंग और गंदे फ्लैट में रहते थे। जब मुझे यह एहसास हुआ कि मैं जीवन से दूर जा चुका था और मरने के कगार पर था, मेरा वह छोटा-सा कमरा सस्ते गहनों-सा चमकने लगा। ज़िंदा रहने की खुशी ने मुझे अतिरिक्त खुशी से भर दिया था। जीवित बच निकलने के अपने इस अनुभव के अर्थ के बारे में मैं सिर्फ इतना ही सोच पाया कि मेरे साथ किसी ने मज़ाक किया है। रहस्य के परदे को छूना तो दूर की बात, किसी भी मौके पर हमने यह नहीं सोचा—मतलब मैंने तो नहीं सोचा—कि हमारे फेफड़े संसार की दिव्य रौशनी से भर गए या ऐसा कुछ भी। एक क्षण के लिए ही सही, मुझे उस रात गर्व का एहसास हुआ। मैं निश्चिंत था कि मैं इस दुनिया में सिर्फ इसलिए रह गया क्योंकि मैं किसी और जगह को सहन नहीं कर सकता था।

होटेल की बात करें, जो उस रात वह बिल्कुल मेरे ही हाल में था और उसके पास मेरे जितनी ही हेरोइन थी, परन्तु उसकी प्रेमिका उसमें से अपना हिस्सा न ले सकी, क्योंकि उस दिन वह उसे खोज ही नहीं पाया: वह शहर के बाहरी हिस्से में बने एक छोटे से हॉस्टल में गया और मेरे ही तरह ओवरडोज़ का शिकार हो गया। वह गहरी नींद में डूब गया और वहां बैठे दूसरों को लगा कि वह मर गया।

उसके साथ के लोग, जो सब हमारे दोस्त थे, थोड़ी-थोड़ी देर में उसकी नाक के नीचे एक छोटा-सा आईना लगाकर केवल यह देख रहे थे कि उसकी सांसें चल रहीं है या नहीं। हल्की सांसों से उभरती भाप ही उसके जीवित होने का सबूत थीं। कुछ ही देर में वे लोग उसे भूल गए और बिना किसी के संज्ञान में आए उसकी अविरल सांस थम गई। वह शिथिल पड़ गया और अंतत: मर गया।

मैं अब तक तो जीवित हूं।  

 

डेनिस जॉनसन
डेनिस जॉनसन

अमेरिकी उपन्यासकार, कहानीकार और कवि डेनिस हेल जॉनसन का जन्म 1 जुलाई, 1949 को हुआ था। वह अपने पहले लघु कहानी संग्रह 'जीसस सन' (1992) के लिए जाने जाते हैं। उनका सबसे सफल उपन्यास 'ट्री ऑफ स्मोक' (2007) है, जिसे फिक्शन के लिए 'नेशनल बुक अवार्ड' से सम्मानित किया गया। 24 मई, 2017 को जॉनसन का निधन हो गया। अमेरिकी उपन्यासकार, कहानीकार और कवि डेनिस हेल जॉनसन का जन्म 1 जुलाई, 1949 को हुआ था। वह अपने पहले लघु कहानी संग्रह 'जीसस सन' (1992) के लिए जाने जाते हैं। उनका सबसे सफल उपन्यास 'ट्री ऑफ स्मोक' (2007) है, जिसे फिक्शन के लिए 'नेशनल बुक अवार्ड' से सम्मानित किया गया। 24 मई, 2017 को जॉनसन का निधन हो गया।