गाजा पर इज़राइली हमला: यह नरसंहार है

आप और मैं गाजा में जो प्रलय देख रहे हैं, वह भयानक नरसंहार है। इस समय हममें से प्रत्येक को एक विकल्प चुनने की आवश्यकता है। क्या हम तबाही की जगह उपाय चुनेंगे? क्या हम आतंक की जगह मानवता चुनेंगे? क्या हम नरसंहार की जगह युद्धविराम चुनेंगे? क्या हम करियर के बजाय विवेक चुनेंगे?

गाजा पर इज़राइली हमला: यह नरसंहार है

11 अक्टूबर 2023 को गाजा शहर के एक अस्पताल में एक महिला गाजा पर इजरायली बमबारी में मारे गए अपने प्रियजन के लिए शोक मना रही है [रॉयटर्स/मोहम्मद सलेम]

अनुवाद: शहादत खान और अक्षत जैन
स्त्रोत: Al Jazeera

आप और मैं गाजा में जो प्रलय देख रहे हैं, वह भयानक नरसंहार है।

यह कोई 'हमला' नहीं है। यह कोई 'आक्रमण' नहीं है। यह कोई 'युद्ध' भी नहीं है। यह एक नरसंहार है।

गाजा में सर्वनाशकारी दृश्य और ध्वनियां इस बात का प्रमाण हैं कि एक क्रूर, कब्ज़ा करने वाली सेना अपने व्यापक लक्ष्य को प्राप्त करने पर आमादा है: पहले से ही टूटे हुए ज़मीन के टुकड़े का विनाश और असहाय, थके हुए बच्चों, महिलाओं और पुरुषों की अंधाधुंध हत्या।

दशकों से, पश्चिमी सरकारों की स्पष्ट स्वीकृति, सहमति और प्रोत्साहन के साथ इज़राइली सरकारों ने धीरे-शीरे नरसंहार जारी रखा है। इज़राइल के हर व्यक्ति को दो साल के लिए सेना में भरती होना अनिवार्य है; फिर यही लोग सेना से बाहर निकलकर ‘सेट्लर’ या निवासी के रूप में बंदूकों से लेस फ़लस्तीनी ज़मीनों पर कब्जा करते हैं, उन पर बसते हैं और इज़राइली सरकार की नरसंहार में मदद करते हैं। इस दौरान पश्चिमी सरकारें इज़राइलियों का ना सिर्फ सहयोग करती आई हैं बल्कि स्टार ऑफ डेविड के नीले और सफेद रंगों के पीछे इस नरसंहार को पर्यटक आकर्षणों की छाया में छिपती भी आई हैं।

आगे बढ़ो, नीच उत्साही समर्थकों, दुनिया को अपना असली और भद्दा रंग दिखाओ। हम याद करेंगे।

कोई गलती न करें: इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अपने क्रूर (स्वभाव, मिज़ाज़ और बात करने के लहज़े से) कैबिनेट मंत्रियों के नस्लवादी गिरोह के साथ लंबे समय से इंतज़ार में हैं कि कब वे फलिस्तीनियों को छोटे-छोटे घातक सबक सिखाने की जगह उनका कहीं अधिक संतोषजनक ढंग से पूर्ण सर्वनाश कर सकेंगे।

यह राक्षसी योजना नेतन्याहू के मनहूस चरित्र की तरह ही स्पष्ट है: गाजा को मिटाकर गाजा से निपटो।

कोई भी, कहीं भी, किसी भी मंच पर जो इस तथ्य से इनकार करता है, वह या तो झूठा है, अंधा है—या जानबूझकर, खुशी से और आराम से दोनों है।

यह 'न्याय परायण' बदला या प्रतिशोध नहीं है। मैं उन सभी लेखकों के लिए दोहराना चाहता हूं जो वही लिखते हैं जो उनको पैसा देने वाले उनसे लिखने के लिए कहते हैं और जिन्होंने अभी तक भी फ़िलिस्तीनियों की सतत पीड़ा और आघात को न तो देखा है और न ही उसकी कभी परवाह की है—यह एक नरसंहार है।

ऐतिहासिक रूप से अशिक्षित समीक्षक और अमेरिकी टीवी समाचार हस्तियां जो 'विदेशी संवाददाता' के रूप में अपनी साख को चमकाने के लिए अपने हेयर स्टाइलिस्टों, मेकअप कलाकारों और लेखकों के साथ भागे-भागे इज़राइल गए हैं, अगर मेरा स्पष्ट अभियोग उन्हें चुभता है तो मैं उन में से किसी को भी चुनौती देता हूं कि वे मेरी गलती सुधारें, और इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वे फिलिस्तीनी प्रवासियों और उनके सहयोगियों को बताएं कि कैसे उनका यह मानना गलत है कि उस घिरे हुए क्षेत्र में एक जानलेवा नरसंहार हो रहा है।

ये असहनीय पाखंडी फिर से फ़िलिस्तीनियों को 'हिंसक दरिंदों' के रूप में बदनाम कर रहे हैं, जबकि गाजा में फ़िलिस्तीनियों को यह चेतावनी देने के लिए कि उनकी सामूहिक हत्या की जाने वाली है, इज़राइलियों की 'साधु-संतों' के रूप में प्रशंसा की जा रही है।

इज़राइल के इन चापलूस वफादारों ने शायद एक बार भी गाजा को घेरने वाली कंटीली तारों वाली दीवारों के अंदर कदम नहीं रखा है, या उन लाखों मनुष्यों में से किसी का भी इंटरव्यू नहीं लिया है, जिन्होंने पीढ़ियों से नस्लभेदी राज्य द्वारा किए गए नुकसान, चोरी, अभाव, अपमान और घातक क्रूरता को सहन किया है।

यह एक परिचित, अतियथार्थवादी तमाशा है, जो एक पुरानी, ​​जटिल कहानी को काले और सफेद के बीच आसानी से समझे जाने संघर्ष में तबदील कर देता है। यह तमाशा उन अनगिनत जाहिल, भूगोल से एलर्जी वाले अमेरिकियों के लिए रचा जा रहा है जो आश्वस्त हैं कि ‘जागृत’ होने का मतलब पासपोर्ट रखना है।

सफ़ेद रंग के प्रतिनिधि इज़रायली हमेशा निर्दोष शिकार होते हैं। काले रंग के प्रतिनिधि फलिस्तीनी हमेशा अपराधी होते हैं।

इसलिए इज़राइल द्वारा अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनगिनत उल्लंघनों के अमानवीय परिणामों को हंस के नजरंदाज किया जा रहा है।

जीवन की सामग्री—भोजन और पानी—को बंदी गाजा में जाने से रोकें। ठीक है।

ईंधन और बिजली को घरों और अस्पतालों तक पहुंचाने से रोकें। ठीक है।

लगातार विनाशकारी बमबारी से हताश फ़लिस्तीनी परिवारों को आश्रय देने वाले संयुक्त राष्ट्र के स्कूलों पर बमबारी करें। ठीक है।

घायल बच्चों को तत्काल देखभाल के लिए अंधेरे अस्पतालों में ले जाती एंबुलेंसों पर हमला करें। ठीक है।

फ़लिस्तीनियों को हड्डियां जलाकर मारने के लिए सफ़ेद फॉस्फोरस का प्रयोग करें। ठीक है।

'नागरिक हताहतों' को रोकने के लिए 'सटीक हमलों' के झूठ को रद्द करें और इसके बजाय गाजा को 2005 के फालुजा में बदलने का आनंद लें। ठीक है।

भागने और आशा को असंभव बनाने के लिए गाजा की जेल को और अधिक सख्त कर दें। ठीक है।

फिर मांग करें कि 11 लाख लोग कुछ ही घंटों में कहीं चले जाएं या निश्चित मौत का सामना करें। ठीक है।

संकेत मिलते ही राष्ट्रपतियों और प्रधानमंत्रियों की जानी-पहचानी टोली आगे बढ़-बढ़ के फलस्तिनीयों द्वारा किए गए अत्याचारों की निंदा करती है, जबकि उसी समय वह इज़राइलियों के द्वारा किए गए अत्याचारों के लिए ताली बजाती है।

तो कृपया करके क्या कल्पनावादी हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) से इजराइल सहित 'दोनों पक्षों' को जवाबदेह ठहराने के लिए कुछ भी करने की प्रार्थना करना बंद कर देंगे?

ऐसा नहीं हुआ है और न ही होगा, क्योंकि हमेशा से आदेशों का अनुपालन करने वाली आईसीसी जानती है कि उसे वाशिंगटन, डीसी में मौजूद उन शक्तियों को अपमानित नहीं करना चाहिए, और वह उन्हें अपमानित नहीं करेगी, जो इस पूरे फर्जी नाटक को चलाती हैं।

इस बीच नेतन्याहू—जिसे कुछ हफ्ते पहले ही धोखाधड़ी, रिश्वतखोरी और विश्वास के उल्लंघन के आरोपों के कारण भ्रष्टाचार के मुकदमे में दोषी ठहराया गया था—उसको अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उसके टट्टुओं द्वारा मध्य पूर्व में संकल्प और नैतिकता के चमकदार अवतार के रूप में सराहा गया।

लंदन, पेरिस, बर्लिन, ब्रुसेल्स, कैनबरा और ओटावा में बाइडेन और उसके टट्टुओं का रोगग्रस्त ‘नैतिक’ कम्पास ऐसा ही है।

फिर भी, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सत्ता की भूख में पगलाई औपनिवेशिक शक्तियां, जिनका दुनिया में जगह-जगह जा कर विनाश करने और निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या करने का चमकता-धमकता रिकार्ड है, गाजा और उसके बाहर इतने सारे निर्दोष फलिस्तीनियों को मारने और विकृत करने के लिए जिम्मेदार साथी औपनिवेशिक शक्ति को अपना समर्थन प्रदान  कर रही हैं। हमेशा ऐसा ही होता आया है, और हमेशा ऐसा ही होता रहेगा।

लेकिन यह जान लें: बाइडेन और उसके टट्टू उन लाखों नागरिकों के लिए नहीं बोलते हैं, जिनका वे प्रतिनिधित्व करने का दावा करते हैं। वे लोग बिना डरे फ़िलिस्तीनियों और उनके उचित और मानवीय कारणों के साथ दृढ़ता से खड़े रहेंगे।

'कूटनीति के माध्यम से संकट को हल करने' के बारे में 'अंतर्राष्ट्रीय समुदाय' की तमाम बकवास और दिखावे के बावजूद, हमारे सामने चलता भयावह नाटक हमेशा से 'अंतिम खेल' रहा है: गाजा के हर वर्ग इंच और उसके तमाम लोगों को धूल में मिला देना।

हंसी योग्य 'दो-राज्य' समाधान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और उससे पहले आए चालाक, आइवी-लीग-शिक्षित अन्य इजरायली युद्ध-अपराध समर्थक राजनयिकों द्वारा प्रचारित भ्रम है। इसके अलावा वे कुछ कर भी नहीं सकते क्योंकि उन सब की नैया टेल अवीव में बैठे उनके जोड़ीदारों से चलती है।

ब्लिंकन ने नरसंहार को 'हरी झंडी' देने के लिए अपने बॉस के आदेश पर इज़राइल की यात्रा की है। हम उसे भी याद रखेंगे।

अति-राष्ट्रवाद और कट्टरता के ज़हरीले संयोजन से प्रेरित एक घातक शासन जानता है कि उसका भयावह लक्ष्य उसके बेहद करीब है।

आने वाले समय में और भी भयावहताएं होंगी। लेकिन फलिस्तीनी नहीं टूटेंगे। वे दृढ़ रहेंगे और प्रबल होंगे। यह कठिन होगा और इसमें समय लगेगा, लेकिन वे पुनर्निर्माण करेंगे।

नरसंहार के आगे अब हमारे लिए यह चुनने का वक्त है

इस भयानक समय में हममें से प्रत्येक को एक विकल्प चुनने की आवश्यकता है।

क्या हम तबाही की जगह उपाय चुनेंगे?

क्या हम आतंक की जगह मानवता चुनेंगे?

क्या हम नरसंहार की जगह युद्धविराम चुनेंगे?

क्या हम करियर के बजाय विवेक चुनेंगे?

अनुभवी अमेरिकी राजनयिक जोश पॉल ने अपना विकल्प चुन लिया है।

पिछले हफ्ते, पॉल ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के इज़राइल के लिए बयानबाजी, कूटनीतिक और सैन्य रूप से पूर्ण और स्पष्ट समर्थन के मद्देनजर विदेश विभाग से इस्तीफा दे दिया।

अपने फैसले को समझाते हुए एक लंबे विचारशील पत्र में पॉल ने लिखा कि उन्होंने पिछले 11 वर्षों में उन परिणामों की खोज करने की कोशिश की है, जिन्हें वे “अच्छे और उचित” मानते हैं।

इस सब के दौरान पॉल ने समझा कि वह नैतिक समझौते करने के लिए तैयार और बाध्य है ... “जब तक मुझे लगता है कि मैं जो नुकसान कर सकता हूं वह मेरे द्वारा किए जा सकने वाले अच्छे से कम हो।”

लेकिन अब पुल ऐसे मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां इस समझौते का अंत जरूरी है।

पॉल ने बाइडेन द्वारा इज़राइल को और भी अधिक “घातक हथियार” भेजने का विरोध किया।

पॉल ने लिखा, “एक पक्ष के लिए अंध समर्थन दीर्घकालिक रूप से दोनों पक्षों के लोगों के हितों के लिए विनाशकारी है। मुझे डर है कि हम वही गलतियां दोहरा रहे हैं, जो हमने पिछले दशकों में की हैं, और मैं आगे और इसका हिस्सा बनने से इनकार करता हूं।”

पॉल ने उस हानिकारक नीति को अस्वीकार कर दिया जिसने लंबे समय से मध्य पूर्व के प्रति अमेरिका के क्रूर रवैये को परिभाषित किया है: पहले मारो, बाद में सोचो।

कमांडर-इन-चीफ को उनकी तीखी फटकार कई असाधारण कारणों से उल्लेखनीय है, जिसके ऊपर उनके अचानक प्रस्थान के कवरेज में अनुमानित रूप से किसी का ध्यान नहीं गया।

सटीक स्पष्टता के साथ पॉल ने इज़राइल और फिलिस्तीन के कब्ज़ा किए गए इलाकों में उमड़ते जानलेवा पागलपन के प्रति बाइडेन की त्रुटिहीन, ऐतिहासिक रूप से असमझी प्रतिक्रिया के मूल में वीभत्स पाखंड की ओर इशारा किया।

उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “हम कब्ज़े के ख़िलाफ़ और उसके पक्ष में, दोनों नहीं हो सकते। हम आज़ादी के पक्ष में और ख़िलाफ़ दोनों नहीं हो सकते।”

मुझे उन मूर्खों, बेखबर बेवकूफों के लिए पॉल की चेतावनी को संक्षेप में समझने दीजिए, जो निश्चित रूप से अमेरिकी नेटवर्क और केबल न्यूज आउटलेट्स पर प्रमुखता से छाये हुए हैं: यह कब्ज़ा है, गधों।

फिर पॉल ने वह स्वीकार किया जो मेरी जानकारी के अनुसार अमेरिकी दूत को तो छोड़ ही दीजिए लेकिन किसी भी पश्चिमी राजनयिक ने भी सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने की हिम्मत नहीं जुटाई है, क्योंकि वे सब इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और देश और विदेश में उनके उन्मादी समर्थकों के प्रतिशोधात्मक क्रोध को भड़काने के जोखिम को उठाने से डरते हैं। पॉल ने कहा कि इज़राइल का राज्य नस्लभेद, नरसंहार और सामूहिक दंड देने का दोषी है।

पॉल ने अपने गंभीर अभियोग को इस प्रकार बयान किया: “इस दुनिया में हर जगह सुंदरता पाई जाती है और यह सुरक्षा और फलने-फूलने के अधिकार दोनों की हकदार है। और यही वह है, जो मैं फिलिस्तीनियों और इज़राइलियों के लिए सबसे अधिक चाहता हूं... सामूहिक सजा इस इच्छा की दुश्मन है, चाहे इसमें एक घर को ध्वस्त करना शामिल हो, या एक हजार को; और ऐसा ही नरसंहार है; ऐसा ही किसी और कि जमीन के ऊपर कब्ज़ा करना है; ऐसा ही नस्लभेद भी है।”

मुझे ऐसा लगता है कि पॉल ने न्यूयॉर्क, लंदन और जेरूसलम में स्थित मानवाधिकार समूहों द्वारा जारी की गई उन चेतावनियों पर ध्यान दिया है, जिन्हें उनके बॉस, कांग्रेस और एक झुके हुए पश्चिमी मीडिया प्रतिष्ठान ने इसलिए अनदेखा किया है क्योंकि वे सब ऐसे शासन के अंधभक्त बने पड़े हैं जो बदमाशों, नस्लवादियों और सत्तावादियों से भरा है।

जब से इस नस्लभेदी राज्य का वहां पर जबरदस्ती निर्माण किया गया है, तब से उन्हें सिर्फ फ़िलिस्तीनी घरों और ज़मीनों पर कब्ज़ा करने के लिए ही नहीं बल्कि बिना किसी सजा के डर के फ़िलिस्तीनियों को आघात पहुंचाने, जेल में डालने, यातना देने, अपंग करने और हत्या करने का लाइसेंस मिला हुआ है।

गाजा, इज़राइल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी जेरूसलम में कैद फ़िलिस्तीनियों का पीढ़ी दर पीढ़ी अवैध, जानबूझकर किया गया प्रणालीगत कत्ल और अमानवीयकरण टिकाऊ नहीं है। यह अनिवार्य रूप से हमास के क्रूर और प्रतिशोधात्मक आक्रोश को बढ़ावा देता है।

यह बेहद शर्म की बात है कि करियर और नियुक्त राजनयिकों में से, जो एक साथ मिलकर इस क्षेत्र के लिए अमेरिका का विनाशकारी खाका तैयार करते हैं, केवल पॉल के पास ही घट रही मानवीय आपदा का सामना करने की अच्छी और दूरदर्शी समझ है।

उनके सैद्धांतिक रुख को छोटे ओहदे वाले आदमी के तेवर के रूप में खारिज करना आसान होगा, जिसके पद छोड़ने से बाइडेन और उसके टट्टुओं द्वारा तय किए गए निर्दयी रास्ते पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

ऐसा करना सिर्फ आसान ही नहीं ग़लत भी होगा।

नौकरशाही अनुरूपता की अपेक्षा और मांग करती है। अपनी जगह बनाए रखने के लिए तुम्हें साथ चलना होगा।

इसलिए जब एक अकेली आवाज़ अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा तय की गई आधिकारिक लाइन से हटती है तो मुझे संदेह है कि यह एक कठिन और अकेला करने वाला अनुभव होता होगा।

फिर भी सर्वसम्मति के मुखौटे में एक दरार एक व्यापक और अधिक परेशानी वाले भूकंप का कारण बन सकती है।

वास्तव में, पॉल को अब यह जानकर काफी सांत्वना मिल सकती है कि उनके कई पूर्व सहयोगी अमरीकी सरकार द्वारा इज़राइल को दिए जाने वाले ‘असीमित’ समर्थन को खतरनाक और अदूरदर्शी बताते हुए चुनौती देने में उनके साथ शामिल हो गए हैं।

कथित तौर पर कई अमेरिकी राजनयिकों के बीच एक ‘विद्रोह’ पनप रहा है। वे बाइडेन द्वारा अपनाई गई अमेरिका की ‘पहले मारो, बाद में सोचो’ की तथाकथित ‘रणनीति’  पर अपनी असहमति व्यक्त करने के लिए राजनयिक केबल लिखने की योजना बना रहे हैं।

विद्रोह के इस बढ़ते ज्वार को रोकने के लिए अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने मुस्लिम, अरब और यहूदी मूल के परेशान राजनयिकों के छोटे समूहों के साथ उनकी चिंताओं को शांत करने के लिए ‘सुनने के सेशन’ आयोजित किए हैं।

यह दिखावटी अभ्यास है, जो बताता है कि ‘विविधता’ की बातें केवल सुविधाजनक पैंतरा है, जिनका उपयोग इस जिद्दी तथ्य को छुपाने के लिए किया जाता है कि व्हाइट हाउस से नरसंहार करने की अनुमति कौन देता है: युद्धरत गोरे मर्द।

फिर भी कैपिटल हिल पर असंतोष फैल रहा है।

डेमोक्रेटिक कांग्रेसी रो खन्ना के कार्यालय में राजनीतिक निदेशक एडम रेमर ने तत्काल युद्धविराम के लिए प्रस्ताव को सह-प्रायोजित करने से खन्ना के इनकार के विरोध में केवल दो सप्ताह तक काम पर रहने के बाद पद छोड़ दिया।

रेमर ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “मैंने युद्धविराम का आह्वान करने से इनकार करने के कारण सोमवार को अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया। मैं युद्ध के ख़िलाफ़ और फ़िलिस्तीनी न्याय के लिए अपने सामर्थ्य से सब कुछ करूंगा।''

कुछ दिनों बाद एक भावपूर्ण खुले पत्र में 400 से अधिक मुस्लिम और यहूदी कांग्रेसी कर्मचारियों ने मांग की कि उनके ‘मालिक’ ‘हिंसा को उचित ठहराने’ के लिए उनके ‘दर्द और इतिहास’ का ‘दोहन’ करना बंद करें और युद्धविराम का समर्थन करें।

कर्मचारियों ने लिखा कि इस जरूरी लम्हे में “हम अपने निर्वाचित अधिकारियों से आह्वान कर रहे हैं कि वे मानवता से प्रेरित होकर एक साथ आगे बढ़ने का नया रास्ता खोजने की कोशिश करें।’

यह एक साहसी और आवश्यक कार्य है।

यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन को भी 800 लोक सेवकों की न्याय परायण छड़ी का सामना करना पड़ा है, जिन्होंने एक पत्र में गाजा में इज़राइल के युद्ध अपराधों के संबंध में उनके ‘दोहरे मानदंडों’ और ‘अनियंत्रित’ समर्थन की निंदा की है।

पत्र में कहा गया है, “अगर इजराइल तुरंत नहीं रुका तो पूरी गाजा पट्टी और उसके निवासी इस ग्रह से मिटा दिए जाएंगे।”

वे सही हैं।

कंप्युटर के सामने बैठे साढ़े-गले आर्टिकल लिखने वाले और टीवी पर अपना गुस्सा जताने वाले अधिकांश लड़ाकों ने अपना विकल्प चुन लिया है, वे सब पूरी देशभक्ति के साथ अपनी घरेलू टीमों का साथ दे रहे हैं और अब तक परिचित मंत्र के समर्थन में खड़े हो गए हैं: पहले मारो, बाद में सोचो।

हमें याद है जब थोड़े ही समय पहले इन्हीं सब लोगों ने अफगानिस्तान और फिर इराक में यही विनाशकारी निर्णय दिए थे।

जब आपकी अक्षम्य मूर्खता के भयानक मानवीय और भू-राजनीतिक परिणाम स्पष्ट हो गए तो आप में से कुछ ने अपनी संलिप्तता स्वीकार की और माफी मांगी—आधे-अधूरे मन से।

हमने तब आपकी माफ़ी स्वीकार नहीं की थी और जब गाजा धूल और स्मृति में बदल जाएगा तब भी हम आपकी माफ़ी स्वीकार नहीं करेंगे।

हम याद रखेंगे, क्योंकि इसमें कोई संदेह नहीं कि आपमें से अधिकांश लोग हमेशा की तरह अपने द्वारा किए गए विनाशकारी विकल्प को एक बार फिर भूल जाना पसंद करेंगे।

 

एंड्रयू मिटरोविका
एंड्रयू मिटरोविका

एंड्रयू मित्रोविका कनाडा के प्रमुख खोजी पत्रकारों में से एक हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। उन्होंने द फिफ्थ एस्टेट, सीटीवी नेशनल न्यूज और हाल ही में ग्लोब एंड मेल में काम किया है, जहां उन्होंने सुरक्षा और खुफिया मुद्दों को कवर किया। एंड्रयू मित्रोविका कनाडा के प्रमुख खोजी पत्रकारों में से एक हैं। उन्होंने अपनी रिपोर्टिंग के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते हैं। उन्होंने द फिफ्थ एस्टेट, सीटीवी नेशनल न्यूज और हाल ही में ग्लोब एंड मेल में काम किया है, जहां उन्होंने सुरक्षा और खुफिया मुद्दों को कवर किया।