‘द वॉइस इमिटेटर’ से कुछ कहानियां

यह छोटी-छोटी कुछ पंक्तियों की कहानियां हैं जो मानव दशा के बारे में बहुत कुछ कह जाती हैं।

‘द वॉइस इमिटेटर’ से कुछ कहानियां

 

अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद: अक्षत जैन

पीसा और वेनिस

पिसा और वेनिस के मेयरों ने अपने शहरों में आने वाले पर्यटकों को चौंकाने की योजना बनाई थी, जो सदियों से वेनिस और पिसा दोनों से समान रूप से मंत्रमुग्ध होते रहे हैं। उन्होंने यह तय किया कि वे रातोंरात पिसा के टावर को वेनिस और वेनिस के घंटाघर को पिसा में स्थानांतरित कर देंगे। हालांकि, वे अपनी योजना को गुप्त नहीं रख सके, और जिस रात वे इस अदला-बदली को अंजाम देने वाले थे, उसी रात पिसा के मेयर को वेनिस के पागलखाने और वेनिस के मेयर को पिसा के पागलखाने में भर्ती कर दिया गया। इतालवी अधिकारियों ने इस मामले को पूरी गोपनीयता से संभाल लिया।

पासा पलटा

हालांकि मुझे हमेशा से चिड़ियाघरों से नफरत रही है, और सच कहूं तो, जो लोग चिड़ियाघर जाते हैं उन पर मुझे शक होता है, लेकिन फिर भी एक बार मैं खुद को शोनब्रन जाने से रोक नहीं पाया। मेरे साथ एक धर्मशास्त्र के प्रोफेसर थे, पुराने दोस्त, जिनके कहने पर मैं बंदरों के पिंजरे के सामने खड़ा हो गया। प्रोफेसर साहब ने अपने साथ कुछ खाना लाया था, जिसे उन्होंने बड़े शौक से बंदरों को खिलाया। जैसे-जैसे वक्त गुजरता गया, उन्होंने सारा खाना बंदरों को दे डाला। लेकिन तभी, जो खाना नीचे गिर गया था, उसे उन बंदरों ने झटपट इकट्ठा किया और सलाखों के बीच से हमारी तरफ पेश किया। बंदरों की इस हरकत से हम इतने घबरा गए कि झटपट मुड़े और तेजी से शोनब्रन के सबसे करीब वाले गेट से कट लिए।   

होटल वाल्डहॉस

मौसम ने बिल्कुल साथ नहीं दिया और हमारी टेबल पर बैठे मेहमान हर लिहाज़ से नफरत के काबिल थे। उन्होंने तो नीट्शे का भी मज़ा किरकिरा कर दिया। यहां तक कि जब उनकी एक हादसे में मौत हो गई और उन्हें सिल्स की एक चर्च में गाढ़ दिया गया, तब भी हम उनसे नफ़रत करते रहे।

चेतावनी

कोब्लेंज का एक व्यापारी अपने ज़िन्दगी के ख्वाब को हक़ीक़त में तब्दील करने के लिए गीज़ा के पिरामिड देखने गया। लेकिन पिरामिड देखने के बाद, उसे ये सफर अपनी ज़िन्दगी की सबसे बड़ी मायूसी का कारण बनाना पड़ा। मैं उसे समझ सकता हूं, क्योंकि मैं खुद भी पिछले साल मिस्र गया था और पिरामिड से सबसे ज्यादा मायूस हुआ था। हालांकि, मैंने अपनी मायूसी को जल्द ही काबू कर लिया, लेकिन कोब्लेंज का यह व्यापारी अपनी मायूसी का बदला लेने पर उतर आया। उसने महीनों तक जर्मनी, स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया के तमाम बड़े अखबारों में पूरे पन्ने के इश्तिहार छपवाए, जिनमें उसने मिस्र के तमाम आगंतुकों को पिरामिड और खासकर चीयोप्स के पिरामिड के खिलाफ आगाह किया, जिसने उसे सबसे ज्यादा मायूस किया था। इस व्यापारी ने इन "मिस्र-विरोधी" और "पिरामिड-विरोधी"—जैसा कि वो उन्हें बुलाता था—इश्तिहारों पर अपनी तमाम दौलत खर्च कर दी और खुद को कंगाली की कगार पर ला खड़ा किया। ज़ाहिर सी बात है कि उसके इन इश्तिहारों का लोगों पर वह असर नहीं हुआ जिसकी उसे उम्मीद थी। बल्कि, इस साल मिस्र जाने वाले पर्यटकों की तादाद पिछले साल के मुकाबले दोगुनी हो गई है।

सच्चा प्यार

रिवा में लेक गार्डा के किनारे एक विला का मालिक एक इतालवी, जो अपने पिता की छोड़ी हुई जायदाद के ब्याज से आराम से जी सकता है, पिछले बारह साल से एक पुतले के साथ रह रहा है। यह बात ला स्टाम्पा अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ है, जो यह भी बताती है कि इस इतालवी के बारे में कहा जाता है कि उसने कला इतिहास की पढ़ाई की है। रिवा के लोग बताते हैं कि नरम शामों में उन्होंने उस इतालवी को देखा है, वह अपने घर के करीब एक ग्लास-डोम वाले डीलक्स बोट पर उस पुतले को लेकर झील की सैर करने जाता है। सालों पहले डेसेनकानो में प्रकाशित एक अखबार में एक पाठक के पत्र में उसे "अनाचार" करने वाला कहा गया था। इसके बाद उसने अपनी पुतले से शादी करने की इजाज़त के लिए संबंधित सिविल अधिकारियों से आवेदन किया था, लेकिन उसे इनकार कर दिया गया। चर्च ने भी उसे अपने पुतले से शादी करने का हक देने से मना कर दिया। हर साल सर्दियों में, वह लेक गार्डा से मध्य दिसंबर में रवाना हो जाता है और अपनी इस महबूबा, जिसे उसने पेरिस के एक शोरूम की खिड़की में देखा था, के साथ सिसिली जाता है। वहां वह ताओर्मिना के मशहूर होटल टाइमियो में एक कमरा किराए पर लेता है, ताकि ठंड से बच सके, जो सभी दावों के बावजूद, हर साल मध्य दिसंबर के बाद लेक गार्डा पर असहनीय हो जाती है। 

उनके रहम पर

अपनी पत्नी की जान बचाने के लिए—जिसे फेफड़ों की बीमारी थी—ओफ़नर नाम का आदमी, जो गांव का हरकामिया और घंटी बजाने वाला था, ने अपने डॉक्टर की सलाह पर, अपनी पत्नी के साथ मिलकर हमारे पड़ोस में एक छोटी सी जंगल वाली ज़मीन खरीदी। यह ज़मीन इतनी ऊंचाई पर थी कि वहां धुंध नहीं पहुंचती थी और हवा भी साफ़ थी। दोनों ने, कई सालों की मेहनत के बाद—गांव और अपने पड़ोसियों की मदद से—उस ज़मीन पर एक छोटा सा घर बनाया। लेकिन जब घर बनकर तैयार हुआ, तो ओफ़नर बीमार पड़ गया, क्योंकि घर बनाने का काम उसके लिए बहुत भारी पड़ गया था, और कुछ ही समय में उसकी मौत हो गई। उसकी विधवा, जिसके लिए, आखिरकार, वह घर बनवाया गया था और जो अपने पति की मौत के बाद भी अपनी फेफड़ों की बीमारी से धीरे-धीरे उबर रही थी, को एक कुत्ता पालना पड़ा, क्योंकि अब वह अकेली थी और उसे डर लगने लगा था। कुत्ता उन सब के ऊपर भौंकता जो मकान के आस पास दो सौ फुट के दायरे में आते, और जैसे-जैसे वक्त बीता, किसी ने मकान के पास जाने की हिम्मत नहीं की। कई सालों तक वह औरत उस कुत्ते के साथ अकेली रही, बिना किसी इंसान के संपर्क में, लेकिन अचानक, एक झटके में, वह इस स्थिति को और बर्दाश्त नहीं कर सकी और बाहर जाकर उस कुत्ते को, जिसने सालों तक उसकी इतनी वफादारी से सेवा की थी, लकड़हारे के उपयोग में आने वाले एक सैपेल नामक औजार से मार डाला। फिर वह अपने साथी इंसानों के रहम पर निर्भर हो गई।

दूधवाली

पिछले हफ्ते हमने पांच गायों का तमाशा देखा, जो एक के बाद एक दौड़ते हुए उस एक्सप्रेस ट्रेन के सामने आ गईं, जिसमें हमें वियना लौटना था, और देखते ही देखते ट्रेन से कटकर टुकड़े-टुकड़े हो गईं। जब ट्रेन के स्टाफ ने और यहां तक कि ड्राइवर ने भी, जो एक पिकैक्स के साथ आया था, ट्रैक को साफ़ किया, तो ट्रेन लगभग चालीस मिनट की देरी के बाद फिर से चल पड़ी। खिड़की से बाहर देखते हुए मैंने देखा कि एक दूधवाली चीखते-चिल्लाते, सांझ के धुंधलके में एक खेत की ओर दौड़ी जा रही थी।

दो नोट

साल्ज़बर्ग यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी के बड़े पढ़ने वाले कमरे में लाइब्रेरियन ने बड़े झूमर से लटक कर फांसी लगा ली। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा कि बाईस साल की सेवा के बाद वह अब और सहन नहीं कर सकता था कि ऐसी किताबें वापस शेल्फ पर लगाए और लोन दे, जो केवल तबाही मचाने के लिए लिखी गई थीं। उसने कहा कि यह हर उस किताब पर लागू होता है, जो कभी भी लिखी गई हो। यह बात मुझे मेरे दादा के भाई की याद दिलाती है, जो हेनज़डॉर्फ के पास अल्टन्टैन के जंगल क्षेत्र के प्रभारी शिकारी थे और जिन्होंने ज़िफांकन की चोटी पर खुद को गोली मार ली थी क्योंकि वे अब मानव दुख सहन नहीं कर सकते थे। उन्होंने भी अपने इस अनुभव को एक नोट में छोड़ दिया था।

बिन आत्मा

जब तक अस्पतालों में डॉक्टर सिर्फ शरीरों में रुचि रखेंगे और आत्मा में नहीं, जिसके बारे में उनको लगभग ना के बराबर पता है, तब तक हमें अस्पतालों को सार्वजनिक कानून लागू करने की संस्था बुलाने के साथ ही साथ सार्वजनिक कत्ल करने की संस्था भी बुलाना पड़ेगा, और डॉक्टरों को खूनी एवं खूनीयों का सह-अपराधी भी बुलाना पड़ेगा| जब ओत्नांग एम हौसरुक का एक तथाकथित शौकिया विद्वान एक तथाकथित अजीबो-गरीब रोग के चलते वोक्लाब्रुकी अस्पताल में दाखिल हुआ और उसकी सम्पूर्ण शारीरिक जांच हो गई, तो उसने पूछा—जैसा कि उसने Der Arzt (द डॉक्टर) नाम की चिकित्सकीय पत्रिका को एक पत्र में लिखा है—और मेरी आत्मा का क्या? जिसके जवाब में उसके शरीर की जांच करते हुए डॉक्टर ने कहा, शांत रहो!

 

 

थॉमस बर्नहार्ड
थॉमस बर्नहार्ड

थॉमस बर्नहार्ड (1931-1989) एक ऑस्ट्रियाई लेखक थे, जिन्हें साहित्य में उनकी विशिष्ट आवाज़ के लिए जाना जाता है, जो उनके गहरे हास्य, समाज की तीव्र आलोचना, और अद्वितीय कथन शैली से परिभाषित होती है। उन्होंने अक्सर अस्तित्वगत निराशा, जीवन की व्यर्थता, और संस्थाओं की खामियों जैसे विषयों का अन्वेषण किया,... थॉमस बर्नहार्ड (1931-1989) एक ऑस्ट्रियाई लेखक थे, जिन्हें साहित्य में उनकी विशिष्ट आवाज़ के लिए जाना जाता है, जो उनके गहरे हास्य, समाज की तीव्र आलोचना, और अद्वितीय कथन शैली से परिभाषित होती है। उन्होंने अक्सर अस्तित्वगत निराशा, जीवन की व्यर्थता, और संस्थाओं की खामियों जैसे विषयों का अन्वेषण किया, जिससे उनके काम चुनौतीपूर्ण और विचारोत्तेजक बन गए। बर्नहार्ड की गद्य शैली दोहराव और लयबद्ध प्रवाह से चिह्नित होती है, जिससे पढ़ने का अनुभव गहन और डूबने योग्य बन जाता है। उनके कार्यों में उपन्यास, नाटक और लघु कथाएँ शामिल हैं, जो अपनी गहराई और साहित्यिक नवाचार के लिए प्रशंसित हैं।