जम्मू-कश्मीर के स्वतंत्रता-सेनानी यासीन मलिक का इंटरव्यू: शिक्षित युवा का बंदूक उठाना कश्मीर के लिए नई बात नहीं है
दिल्ली की एक अदालत ने हाल में जम्मू-कश्मीर के स्वतंत्रता-सेनानी यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई। यासीन मलिक की सजा के ऐलान का भारत के एक वर्ग और खासतौर से तथाकथित राष्ट्रवादी मीडिया और उन लोगों ने, जिनके लिए यह मीडिया काम करता है, पुरजोश स्वागत किया। स्वागत के उद्घोष में उन लोगों के संशय, शंका और सवालों को दबा दिया गया जो यासीन मलिक को मिली सजा के बहाने ही सही यह उम्मीद करते रहे थे कि अब कश्मीर के वास्तविक मुद्दों पर कुछ चर्चा हो सकेगी। पता चल सकेगा कि आखिर वह क्या बात है जिसकी वजह से कश्मीर के आम तो क्या पढ़ा-लिखा वर्ग भी भारतीय सरकार के खिलाफ हथियार उठा रहा है? वे कौन-सी घटनाएं हैं जिन्होंने अहिंसक आंदोलन को एकाएक हिंसक और अराजक बना दिया? आखिर क्यों कश्मीर से जनमत संग्रह का वादा करने के बाद भी भारत सरकार उससे मुंह कर गई? और यदि आज़ादी-परस्त कश्मीरियों की आवाज़ को दबाने के लिए भारत सरकार द्वारा किए गए क्रूर बल का प्रयोग अतीत में ब्रिटिश सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ किया होता तो भारत आज कहां होता? ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब यासीन मलिक ने अपने इस इंटरव्यू में दिए हैं। उम्मीद करते हैं कि इस इंटरव्यू को पढ़कर कश्मीर की वास्तविक स्थिति के बारे में जानने के लिए उत्साहित भारतीय नागरिक अपने कुछ सवालों के जवाब पा सकें...
May 29, 2022