जेल में एक छोटी-सी ग़लती
मैं 1981 के पतझड़ के मौसम में और 1982 के अरसे में क़ैद कर दिया गया था। इस वक्त मैं उस जेल में क़ैद था, जो शाह-ए-ईरान के दौर में मुजरिमों को सजा देने के तौर पर इस्तिमाल होता थी। खुमैनी की इस्लामी हुकूमत ने उसके दर दोबारा खोल दिए थे। जहां मैं क़ैद था, वहां बहुत-सी औरतों को भी क़ैद किया गया था। जेल के बरामदे में जो क़ैदी थे, उनकी आंखों पर पट्टी बांध दी गई थी। वे वहां खाना खाते थे, सोते थे और इंतज़ार करते थे। मुझे उन तकलीफ़देह हालात में 22 दिन रखा गया था। फिर मुझे ऊपर वाली मंज़िल की कैद-ए-तन्हाई में भेज दिया गया था और मेरी आंखों से पहली बार पट्टी उतारी गई थी। एक महीने बाद मेरी आंखों पर फिर पट्टी बांधी गई और मुझे कार में बैठाकर इवीन जेल भेज दिया गया। उस जेल में एक शाम हैरत-अंगेज वाक़िया पेश आया।
October 07, 2023