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कहानी

ओडिन का चक्र

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April 09, 2022

ओडिन का चक्र

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पटचित्र: जिक्सिब्लड   

स्पैनिश से अनुवाद अंग्रेजी में: एंड्रू हरली 
अंग्रेजी से अनुवाद हिन्दी में: अक्षत जैन और अंशुल राय 
स्त्रोत: Bibliokept

मैं एक लकड़हारा हूं। मेरा नाम ज़्यादा मायने नहीं रखता। जिस झोपड़ी में मेरा जन्म हुआ और जिसमें मैं जल्द ही मरने वाला हूं, वह जंगल के किनारे स्थित है। कहा जाता है कि यह जंगल बहुत बड़ा है, इतना बड़ा कि यह उस समुद्र के तट पर जाकर खत्म होता है जिससे पूरी दुनिया घिरी है। कहा जाता है कि मेरी झोपड़ी जैसी ही लकड़ी से बनी झोपड़ियां उस समुद्र पर सफर करती हैं। मुझे नहीं पता, मैंने उस समुद्र को कभी नहीं देखा।

मैं जंगल के दूसरी ओर भी कभी नहीं गया। बचपन में मेरे बड़े भाई ने मुझसे कसम ली थी कि हम दोनों मिलकर तब तक पेड़ काटते रहेंगे जब तक कि जंगल में एक भी पेड़ न बचे। मेरा भाई मर चुका है। अब मैं किसी और चीज़ के पीछे लगा हूं और हमेशा लगा रहूंगा। जिस दिशा में सूरज डूबता है, वहां एक खाड़ी है। उसमें मैं अपने हाथों से मछली पकड़ता हूं। जंगल में भेड़िये हैं लेकिन मुझे उनसे डर नहीं लगता, क्योंकि मेरी कुल्हाड़ी ने मुझे कभी धोखा नहीं दिया। मुझे नहीं पता कि मेरी उम्र कितनी हो गई है, लेकिन यह ज़रूर पता है कि मैं बूढ़ा हो गया हूं, क्योंकि मेरी आंखों में अब उतनी रोशनी नहीं बची। नीचे गांव में, जहां मैं अब भटक जाने के डर से नहीं जाता, लोग कहते हैं कि मैं कंजूस हूं। मगर एक लकड़हारे के पास आखिर कितनी जमा पूंजी हो सकती है?

बर्फ को अंदर आने से रोकने के लिए मैं अपने घर का दरवाज़ा एक पत्थर से बंद रखता हूं। एक शाम मुझे घिसटते भारी कदमों की आहट सुनाई पड़ी और फिर दरवाज़ा खटखटाने की। दरवाज़ा खोलने पर एक अनजान व्यक्ति घर के अंदर आया। वह लंबा और बूढ़ा था। उसने एक पुराना और जगह-जगह घिसा हुआ कंबल ओढ़ रखा था। उसके चेहरे पर एक कोने से दूसरे कोने तक घाव का निशान था। उसकी बढ़ती उम्र ने दुर्बलता से ज़्यादा उसका रौब बढ़ाया था, मगर फिर भी मैंने देखा कि वह लाठी के सहारे के बिना नहीं चल पा रहा था। हमने कुछ इधर उधर कि बातें की, जो मुझे अब याद नहीं। फिर आखिरकार उस आदमी ने कहा:

‘मेरा कोई घर नहीं है। मुझे जहां जगह मिलती है मैं सो जाता हूं। मैं पूरे सैक्सनी के चक्कर काट चुका हूं।’        

उसकी उम्र के हिसाब से उसके शब्दों में अनुकूलता थी। मेरे पिता भी हमेशा सैक्सनी के बारे में बातें किया करते थे। अब लोग उसे इंग्लैंड बोलते हैं।

घर में ब्रेड और कुछ मछलियां थीं। खाते वक्त हमने एक-दूसरे से बात नहीं की। बारिश होने लगी। मैंने कुछ चमड़ी इकट्ठा की और मिट्टी के फर्श पर उसका बिछौना वहां बना दिया जहां मेरा भाई मरा था। रात होने पर हम सो गए।

भोर के समय हम घर से निकले। बारिश बंद हो चुकी थी और ज़मीन नई बर्फ से ढकी हुई थी। उस आदमी ने अपनी लाठी गिराई और मुझे उसे उठाने का आदेश दिया।

‘मैं तुम्हारा कहा क्यों करूं?’ मैंने उससे कहा।

‘क्योंकि मैं राजा हूं,’ उसने जवाब दिया।  

यह सोचते हुए कि वह पगला गया है, मैंने उसे लाठी उठाकर दे दी। अगले वाक्य में उसकी आवाज़ बदल गई। उसने कहा,

‘मैं सेकजेन लोगों का राजा हूं। मेरे नेतृत्व में हमने मुश्किल से मुश्किल युद्ध जीते, मगर जब तकदीर में लिखा सामने आया तब मेरा राज्य मेरे हाथ से निकल गया। मेरा नाम इज़र्न है और मैं ओडिन का वंशज हूं।’

‘मैं ओडिन को नहीं मानता, मैं यीशु को मानता हूं,’ मैंने जवाब दिया।

वह आगे बोलता गया जैसे कि उसने मुझे सुना ही न हो।

‘मैं निर्वासित भटक रहा हूं लेकिन मैं फिर भी राजा हूं, क्योंकि मेरे पास चक्र है। तुम्हें देखना है उसे?’

उसने अपने हाथ खोलकर मुझे अपनी पतली पड़ चुकी हथेली दिखाई। उसमें कुछ नहीं था। उसका हाथ खाली था। मुझे तब ही इस बात का इल्म हुआ कि वह अपना हाथ हमेशा कसकर बंद रखता था। उसने मेरी आंखों में देखा।

‘तुम इसे छू सकते हो।’

मुझे कुछ संदेह तो था लेकिन मैंने अपनी उंगलियां आगे बढ़ाईं और उसकी हथेली को स्पर्श किया। मुझे कुछ ठंडक महसूस हुई और अचानक एक त्वरित चमक दिखाई पड़ी। उसने झट से अपना हाथ बंद कर लिया। मैंने कुछ नहीं कहा।

‘यह ओडिन का चक्र है,’ बूढ़े आदमी ने धैर्य के साथ कहा, जैसे वह किसी बच्चे से बात कर रहा हो, ‘इसका एक ही सिरा है। दुनिया में ऐसी कोई और चीज़ नहीं जिसका एक ही सिरा हो। जब तक यह मेरे हाथ में है मैं राजा रहूँगा।’

‘क्या यह सोने का है?’ मैंने पूछा।

‘मुझे नहीं पता। यह ओडिन का चक्र है और इसका एक ही सिरा है।’

तब मेरे अंदर चक्र को हासिल करने की तलब जागी। अगर वह मेरा हो जाए तो मैं उसे सोने के बदले बेच कर खुद राजा बन जाऊंगा।

‘मेरे घर में मैंने सिक्कों से भरा एक बक्सा छुपा रखा है। सोने के सिक्के जो मेरी कुल्हाड़ी जैसे चमकते हैं,’ मैंने उस भटकते आदमी से कहा, जिससे मैं अभी तक नफरत करता हूं, ‘अगर तुम मुझे ओडिन का चक्र दे दो तो मैं तुम्हें वह पूरा बक्सा दे दूंगा।’

‘मैं नहीं दूंगा,’ उसने कठोरता से कहा।

‘तब फिर तुम अपना रास्ता नापो,’ मैंने कहा।

वह मुड़ गया। उसके सिर पर सिर्फ एक कुल्हाड़ी के वार की जरूरत पड़ी; वह लड़खड़ाया और गिर पड़ा, मगर गिरते वक्त उसका हाथ खुल गया और मुझे चक्र की चमक हवा में दिखाई पड़ी। मैंने उस जगह पर अपनी कुल्हाड़ी गाड़ी और उसके शव को घसीट कर खाड़ी के तल की तरफ ले गया और जहां ज्यादा पानी था उसके शव को वहां फेंक आया।

घर वापस आने पर मैंने चक्र को ढूंढने की कोशिश की, पर मुझे वह नहीं मिला। मैं कई सालों से उसे खोज रहा हूं।       

 

(इस कहानी को एडिट करने में  शहादत खान ने मदद की है)

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जॉर्ज लुइस बोर्गेस
जॉर्ज लुइस बोर्गेस

लेखक

जॉर्ज लुइस बोर्गेस का शुमार अर्जेंटीना के स्पेनिश-भाषा साहित्य के प्रमुख व्यक्तियों में किया जाता है। वह लघु-कथा लेखक, निबंधकार, कवि और अनुवादक थे। 1940 के दशक में प्रकाशित उनकी प्रमुख पुस्तकों में ‘फिकियन्स’ (काल्पनिक) और ‘एल अलेफ’ (द एलेफ) आम विषयों से जुड़े लघु कथाओं के संकलन हैं। इनमें सपने,...

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अक्षत जैन
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