सच बोलने वाला आईना

प्रेम की किताब के हर पृष्ठ पर वफ़ा के क़िस्से ही नहीं होते, बेवफ़ाई की दास्तानें भी होती हैं। प्रेम कहानियों के कई किरदार महबूब की बेवफ़ाई ने रचे हैं। खासतौर से उन महबूबों ने जिन्होंने प्रेम को शारीरिक सुख और स्वार्थसिद्धि का साधना मात्र मान लिया हो। यह प्रेम और इसका महबूब जब समाज के उस समुदाय से ताल्लुक रखता हो, जिसे समाज ने अपने समलैंगिक पहचान के चलते हाशिये पर धकेल दिया है तो बेवफ़ाई की पीड़ा और ज्यादा भयावह हो जाती है। तमाम जागरूकता अभियानों और सरकारों के समर्थन के बाद भी विश्व के अनेक देशों में समलैंगिक प्रेम को हेय की दृष्टि से देखा जाता है। लोग इन प्रेमियों के प्रेम को तो क्या इन्हें खुद को स्वीकार करना नहीं चाहते। इन लोगों को तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता है। कई बार तो क़त्ल तक कर दिया जाता है। प्रस्तुत कहानी कैमरून के एक ऐसे ही समलैंगिक व्यक्ति की कहानी है, जो प्रेम में पड़कर अपने ही प्रेमी के हाथों मारा जाता है। उसकी मौत अपने पीछे कई सवाल छोड़ जाती है। असली मर्द क्या होता है? क्या औरत के साथ सोना ही असली मर्द की निशानी है? या फिर वह असली मर्द है जो प्यार, उदारता, संवेदनशीलता और दिलेरी की काबिलीयत रखे। क्या वह असली मर्द है जो समाज के सामने झुककर अपने आपको और अपने चाहने वालों को धोखा दे? या फिर वह, जो अपने लोगों के लिए समाज से सिर्फ लड़ने की ही नहीं बल्कि समाज को ठुकराने का साहस रखता हो। समलैंगिक संबंधों के साथ-साथ यह कहानी हमें मर्दानगी के मायनों के ऊपर विचार करने के लिए भी विवश करती है।

सच बोलने वाला आईना

पटचित्र: करीना टुँगारी

फ्रेंच से अनुवाद अंग्रेजी में: लेज़ली लॉन
अंग्रेजी से अनुवाद हिन्दी में:  शहादत खान
स्त्रोत: Pen/Opp

इस सुबह इंजी अपनी मीमी के सामने बैठी है। मीमी उसके खूबसूरत आईने का नाम है। वह अपने छोटे से कमरे से कम ही बाहर निकलती है। कमरा झोपड़पट्टी के अंत में कूड़े-करकट के ढेर के बीच है। उसके एक हाथ में फाउंडेशन का ट्यूब है और दूसरे में मेकअप करने वाला एक पुराना ब्रश। आम तौर पर वह मीमी के साथ ज़्यादा वक़्त इसलिए गुज़ारती है ताकि अपनी ठोड़ी पर उगते बालों को तलाश कर सके और उनको अच्छी तरह छुपा सके। लेकिन इस सुबह वह मीमी के सामने रोना चाहती है, क्योंकि उसका दिल टूट चुका है, उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए हैं, उसका हाल सड़क किनारे मिलने वाले सूया कबाब जैसा हो गया है।

वह मीमी को बताना चाहती है कि उसे अपने स्तनों के बीचों-बीच दर्द हो रहा है। वैसे, उसके स्तनों के बारे में मीमी का क्या खयाल है? जब इंजी अपने स्तन दिखाती है तो पामेला एंडरसन (अमेरिकी अभिनेत्री) को भी अपने स्तन फट से छुपा लेने होते हैं। वह मीमी को दिखाती है कि उसके स्तन कितने बड़े हैं, दो विशाल पपीतों की तरह। वह अपना ब्रा वापस ऊपर करने की कोशिश करती है, मगर यह क्या! वो तो गिर गया! वाह, यह भी क्या चीज है, केवल एक स्तन . . . वैसे यह भी ठीक ही लग रहा है, वह सोचती है। अब वह अपने मोहल्ले के चीफ़ की बीवी की तरह दिखती है। बेचारी! उसका एक स्तन उस घटिया बीमारी ने हड़प लियाऔर वह भी सबसे बड़ा वाला। शायद चीफ़ की बीवी को अब वही करना पड़ता होगा जो इंजी करती है, वह दो स्पंज के टुकड़े उड़स लेती होगी।

यह कैसे हो सकता है कि मीमी को इस बात का पता न हो? इस बस्ती में सब औरतें पेट की हल्की हैं। यह तो क़स्बे की पाम वाइन की हर दुकान में गपशप का सबसे मज़ेदार विषय है। पिछली सुबह जो बेवड़े चिल्ला रहे थे, उसे याद करके इंजी के सीने में तड़पा देने वाला दर्द उठता है:

आखिरकार, वक़्त आ ही गया है कि थॉमस (उसका महबूब टॉमी) अब सच में मर्द बन जाए।”

इंजी को ऐसे ही पता चला था कि टॉमी नदुम्बा के माता-पिता से मिलने गया था। वह उससे शादी करने वाला है। क्या साबित करने के लिए? और वह भी किसके सामने? कि वह सच में मर्द है?

सच्चा मर्द, लौड़ा!’ गाली देते हुए वह अपने मेकअप वाले ब्रश को हथेली में कसकर भींच लेती है।

लेकिन फिर, उसे यह भी याद आता है कि उसने तो टॉमी को हर चीज़ थाली में सजा कर दी थी। पैसे, जो उसने खून पसीना बहाकर कमाए थे, खाना, और फिर वो भी। उस वक़्त नदुम्बा कहां थी जब थॉमस दबे पांव एक बिल्ले की तरह उसके घर आता था? वह हमेशा उसके लिए दरवाज़ा खोल देती थी और जब कभी वह पहले सो जाती तो उसके लिए दरवाज़ा खुला रखती। उस वक़्त मिस नदुम्बा कहां थी जब थॉमस आधी रात को न जाने कहां से आ धमकता था ताकि उससे वो ले सके? उसने उसे सब दे दिया था ... अगवाड़ा-पिछवाड़ा ... सब कुछ। [WS1] क्या ऐसी भी कोई जगह थी जहां थॉमस ने अपना लंड नहीं घुसाया था। क्या अपने छुपे रुस्तम को, अपनी रात की बैटरी को, अपने थॉमस को खुश करने के लिए उसने दुनिया में मौजूद हर सेक्स पोजिशन नहीं ली थी?  

वह उसे शाओलिन बुलाता था। और जब वह उसे यह कहकर बुलाता था तो उसका मतलब यह होता था कि उसे नई पोजिशन चाहिए। और हमेशा बराह--रास्त संबंध, जिस्म से जिस्म काउसे उन रबड़ों से चिढ़ थी जिनका गोरे बीमारियों से बचने के लिए इस्तेमाल करते थे। इंजी की टांगें हर तरफ़ फैली होतीं, एक यहां तो दूसरी वहां। थॉमस उसे घुमाता, झुकाता, जैसे चाहता वैसे लुटाता, ऐसे जैसे वह उसके लिए महज़ एक खिलौना होऔर... और फिर उसे बस सुराख़ ही याद रहता, हिचकोलों और पैंडुलम जैसी हरकत की दबी-दबी आवाज़ें कमरे में उभरतीं और फिर स्खलन होने के साथ ही लुत्फ़ भरी आह की ख़ामोशी छा जाती। तब थॉमस उसकी मजबूत बांहों में सो जाता, उसका सिर इंजी के बालों वाले सीने पर होता, जो अब नक़ली स्तनों से आज़ाद होता। उस समय इंजी को यकीन होता कि थॉमस उसका है।

क आंसू उसके गाल पर टपकता है। इंजी उसे अपनी उंगली से साफ़ करती है। वह एक सर्द आह भरती है और सिर झुका लेती है। वह मीमी, अपने प्यारे आईने से कहती है,

“मुझे बताओ कि मैं शहर की सबसे ख़ूबसूरत औरत हूं।”

फिर वह मुस्कुराती है। मीमी बिल्कुल झूठी है। जब वह झूठ बोलती है तो ऐसे लगता है जैसे वह उन राजनेताओं जैसी है जो टेलीविज़न पर बहस करते हैं। मीमी यह क़सम कैसे खा सकती है कि इंजी इस इलाक़े की सबसे हसीन औरत है जबकि यह दूध जैसे साफ है कि उसकी ठोड़ी की त्वचा रेशम की तरह मुलायम नहीं है। मीमी को यह बिल्कुल नजर आ रहा होगा कि उसकी त्वचा खुरदुरी है, बर्तन साफ़ करने वाले स्टील के स्क्रब पैड की तरह। इंजी को याद आता है कि जब वह छोटी थी तो उसकी मां सारी रात लकड़ियों की आग पर पड़े रहने वाले खाना पकाने के बर्तनों के पेंदों को अच्छी तरह रगड़ने के लिए कहा करती थी। उसकी मां अब दूसरे जहान में चली गई है। दूसरे लोगों की नफ़रत भरी नज़रों ने उसे मार डाला था। कोई मां ऐसे भला कैसे जी सकती है। जिस बेटे को उसने बहुत तकलीफ़ से लालटेन की रोशनी में जन्म दिया था, वह बच्चा अब इंजी बन चुका था। नौ माह का गर्भ बेमानी रहा था।

उस सुबह उसने थॉमस को एक टेक्स्ट मैसेज भेजा था। वह और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। जब से उसने ख़बर सुनी थी, उसका जिस्म यूं पिघल रहा था जैसे मार्जरीन धूप में पड़े पड़े पिघल जाता है। उसने लिखा था,“मैं तुमसे प्यार करती हूं।”

बस इतना ही।

और थॉमस में इतनी भी हिम्मत न थी कि वह कोई जवाब देता।

यह कैसे हो सकता है कि मिस नदुम्बा को यह समझ न आया हो कि उसके मंगेतर को चूत नहीं पसंद? यह कोई रॉकेट साइंस तो है नहीं! बस उसकी पसंद ऐसी है ही नहीं। इंजी जानती है कि थॉमस को अपने महबूब में चर्बी बिल्कुल पसंद नहीं है। और मिस नदुम्बा पर तो बहुत चर्बी चढ़ी है। वह तो हिपोपोटेमस की तरह है! अब भला सोचने वाली बात है कि थॉमस को कितनी जिमनास्टिक्स करनी पड़ेगी, चर्बी के कितने पहाड़ चढ़ने पड़ेंगे मिस नदुम्बा के सुराख तक पहुंचने के लिए। इंजी को लगता है कि उसे शायद थॉमस पर तरस भी आ सकता है

“ओहो, मीमी,” वह रो पड़ती है, “देखो ये बाल फिर से उग आए हैं”, वही मुएं बाल जिन्हें वह हमेशा उखाड़ फेंकती है और वह हर बार ज़्यादा मजबूती से न सिर्फ उग आते हैं बल्कि उनमें इज़ाफ़ा भी हो जाता है। और यहां मीमी है कि वह इंजी को यही कहे जाती है कि वह इस क़स्बे की सबसे हसीन औरत है... ऐसा भला कैसे हो सकता है!

वह फाउंडेशन की एक और तह लगाती है। फिर एक और। इस सब को छिपाना भी तो है। वह इस तरह तो बाहर नहीं जा सकती जैसे किसी छोटे देहात की छिनाल हो। वह छिनाल नहीं है बल्कि एक आज़ाद औरत है। और यह भी कि वह बाहर जाए और रास्ते में उसे टॉमी मिल जाए? इसके बारे में अगर सोचा जाए, टॉमी ने उसे कभी दिन की रोशनी में देखा भी है?

उसे मालूम नहीं है कि शोर अचानक कहां से उठा है। उसे लगता है जैसे उसने किसी शेर की दहाड़ सुनी हो।

“बस बहुत हो गया। हम इस बदबूदार गांडु के यहां रहने से तंग आ चुके हैं। अब यह इस इलाक़े में नहीं रहेगा!” कान फाड़ देने वाले शोर से आने वाली हिंसा की बू आ रही हैफिर और शोर... और फिर एक और आवाज़... और फिर एक कोरस में, “बस बहुत हो गया।”

वह उठती है और कमरे की खिड़की की तरफ़ जाती है ताकि बाहर देख सके। बाहर मजमा बहुत क़रीब आ चुका है। वे सब ख़ंजरों और लाठियों से लैस हैं। उनका ग़ुस्सा उफान पर है। इस हुजूम में एक शख़्स को वह साफ़ पहचान लेती है। यह उसका टॉमी है। वह क़दम बढ़ाता है और हुजूम के सामने आ जाता है। वह उस भीड़ की अगुवाई कर रहा है। वह चिल्लाता है, “यह साला उस दिन को पछताएगा जब यह पैदा हुआ था। यह मुझे प्यार भरे मैसेज भेजने की हिम्मत करता है। क्या उसको ऐसा लगता है कि मैं उसके जैसा हूं? नहीं, मैं नहीं हूं। मैं मर्द हूं, पक्का मर्द! और मैं जल्द ही शादी करने वाला हूं। नदुम्बा, वह मेरी औरत है। और यूं यह सब ख़त्म होने वाला है।”

इंजी के हाथ से ब्रश गिर जाता है, “मीमी क्या तुमने यह सब सुना?”

मैं क्या बचाऊं? मैं अपने साथ क्या ले जाऊं? जाऊं तो कहां जाऊं? और वह भी यूं अचानक। उसे अपनी मां की याद आती है। वह अगर यहां होती तो शायद उसका बचाव कर लेती। एक मां अपने बच्चों को किसी न किसी तरह बचा ही लेती है। लेकिन... लेकिन उसकी मां ने तो इस फुटकलपने से आज़ाद होने की ठान ली थी। उसने ज़हर फांका और इंजी को दुनिया का सामना करने के लिए तन्हा छोड़ दिया। उसने तो उसे अभी यह भी न सिखाया था कि दुनिया के ज़हर और अपमान से कैसे बचना है। वह तो उसे यह भी न बता पाई थी कि वह कूड़े के ढेर के बीच हमेशा अंधेरे में ही रही थी, इंतज़ार मेंबस इंतज़ार किसी चाहने वाले का। ओह, टॉमी, तुम ऐसा कैसे कर सकते हो?

वह मेकअप का सामान इकट्ठा करती है और मीमी, वह मीमी को भी साथ लेकर जाएगी ... वह दरवाज़े की तरफ़ जाती है ताकि वहां से जा सके, भाग सके, फ़रार हो सके। लेकिन देर हो चुकी है। एक पत्थर ने उसके कमरे की प्लाईवुड की दीवार को छेद दिया, जबकि एक दूसरे बड़े पत्थर ने उसका माथा खोल दिया। उसे लगता है जैसे वह मुर्गों के दड़बे में एक तिलचट्टा है। तुम जो भी करो, मेरी जान, वह तुम्हें एक कीड़े की तरह चुग लेंगे।

वह ज़ोर लगा कर अपनी पूरी आंखें खोलती है लेकिन कुछ देख नहीं पाती, और न ही कुछ सुन पाती है। वह अपना आईना पकती है, मुस्कराती है। उसका चेहरा खून से लिथड़ा हुआ है, वह पूछती है,

“मीमी मुझे बताओ कि मैं शहर की सबसे हसीन औरत हूं, क्या मैं नहीं हूं? मीमी? मीमी? क्या तुम मुझे सुन सकती हो?”

 

मैक्स लोबे
मैक्स लोबे

मैक्स लोबे का जन्म 13 जनवरी, 1986 को कैमरुन में हुआ। 2004 में वह स्विज़रलैंड में आ गए और वहां जर्नालिज्म में डिग्री ली। फिर उन्होंने लोसेन के इंस्टीटियूट ऑफ़ पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन से डिग्री हासिल की। फिलहाल वह जिनेवा में रहते हैं। उनकी अब तक पांच किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें एक नॉवल 39, Rue de... मैक्स लोबे का जन्म 13 जनवरी, 1986 को कैमरुन में हुआ। 2004 में वह स्विज़रलैंड में आ गए और वहां जर्नालिज्म में डिग्री ली। फिर उन्होंने लोसेन के इंस्टीटियूट ऑफ़ पब्लिक ऐडमिनिस्ट्रेशन से डिग्री हासिल की। फिलहाल वह जिनेवा में रहते हैं। उनकी अब तक पांच किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनमें एक नॉवल 39, Rue de Berne' भी है। यह नॉवेल जिनेवा के रेडलाइट एरिया के माहौल पर लिखा गया है, जहां इसके सभी किरदार अफ्रीकी देश कैमरुन की पृष्ठभूमि से ही संबंधित हैं। जिन्सी गु़लामी और हम-जिंस परस्ती (समलैंगिकता) पर लिखा लोबे का यह नॉवेल और कई कहानियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। उनका काम इतने भिन्न किस्म के सामाजिक परिवेश पर आधारित होता है कि आप उसे पढ़े बग़ैर नहीं रह सकते। गै़रक़ानूनी प्रवास, पारंपरिक समाजों में लैंगिंग भेदभाव और नए स्थापित प्रशासन के बाद आज़ाद हुए इलाक़ों पर उसके ज़ुल्म उनके काम के अहम विषय हैं।