अनुवादक: शहादत खान
स्त्रोत: Marxists Internet Archive
"सभी मनुष्यों को समान बनाया गया है। उन्हें उनके निर्माता द्वारा कुछ अपरिहार्य अधिकार दिए गए हैं, जिन में जीवन, स्वतंत्रता और खुशी की खोज जैसे अधिकार शामिल हैं," यह अमर कथन सन् 1776 में संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता के घोषणा पत्र में लिखा गया था। व्यापक तौर से इस कथन का अर्थ है: पृथ्वी पर सभी लोग जन्म से समान हैं, सभी लोगों को जीने का एवं खुश और स्वतंत्र रहने का अधिकार है।
मनुष्य और नागरिक के अधिकारों पर 1791 में हुई फ्रांसीसी क्रांति की घोषणा में यह भी कहा गया: "सभी मनुष्य स्वतंत्र और समान अधिकारों के साथ पैदा होते हैं। उन्हें हमेशा स्वतंत्र रहना चाहिए और समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए।"
यह सब निर्विवाद सत्य हैं। फिर भी 80 से अधिक वर्षों से फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों ने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मानकों का दुरुपयोग करते हुए हमारी पितृभूमि का उल्लंघन किया और हमारे साथी-नागरिकों पर अत्याचार किया।
उन्होंने मानवता और न्याय के आदर्शों के विपरीत काम किया। राजनीति के क्षेत्र में उन्होंने हमारे लोगों को हर लोकतांत्रिक स्वतंत्रता से वंचित किया। उन्होंने अमानवीय कानूनों को लागू किया; उन्होंने हमारी राष्ट्रीय एकता को नष्ट करने और हमारे लोगों को एकजुट होने से रोकने के लिए वियतनाम के उत्तर, केंद्र और दक्षिण में तीन अलग-अलग राजनीतिक शासन स्थापित किए। उन्होंने स्कूलों से ज्यादा जेलें बनाई।
उन्होंने हमारे देशभक्तों को बेरहमी से मार डाला। उन्होंने हमारे विद्रोह को खून की नदियों में डुबो दिया। उन्होंने जनमत के फैलाव पर बाधाएं लगा दी; उन्होंने हमारे लोगों को अंधकार और रूढ़िवाद में धकेलने की साजिश की। हमारे लोगों को कमजोर करने के लिए उन्होंने हमें अफीम और शराब का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में उन्होंने हमारी रीढ़ की हड्डी को तोड़ दिया, हमारे लोगों को गरीब बना दिया और हमारी जमीन को तबाह कर दिया। उन्होंने हमारे चावल के खेतों, हमारी खानों, हमारे जंगलों और हमारे कच्चे माल को लूट लिया है।
उन्होंने बैंक नोट जारी करने और निर्यात-व्यापार पर अपना एकाधिकार जमा लिया। उन्होंने कई अनुचित करों को लागू किया और हमारे लोगों को, विशेष रूप से हमारे किसानों को, अत्यधिक गरीबी की स्थिति में धकेल दिया। उन्होंने हमारे राष्ट्रीय पूंजीपति वर्ग की समृद्धि में बाधा डाली; उन्होंने हमारे मज़दूरों का बेरहमी से शोषण किया।
1940 की शरद ऋतु में जब जापानी फासीवादियों ने मित्र राष्ट्रों के खिलाफ अपनी लड़ाई में नए ठिकाने स्थापित करने के लिए इंडोचीन के क्षेत्र का उल्लंघन किया तो फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों ने घुटने टेक दिए और हमारे देश को उन्हें सौंप दिया। इस प्रकार, उस तिथि से हमारे लोग फ्रांसीसी और जापानियों के दोहरे जुए के अधीन थे। उनके कष्ट और बढ़ते गए। इसका परिणाम यह हुआ कि पिछले साल के अंत से इस साल की शुरुआत तक क्वांग ट्री प्रांत से लेकर वियतनाम के उत्तर तक हमारे बीस लाख से अधिक साथी-नागरिक भूख से मर गए। 9 मार्च को फ्रांसीसी सैनिकों को जैपनीज़ द्वारा निरस्त्र कर दिया गया। फ्रांसीसी उपनिवेशवादी भाग गए या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया, जिससे यह मालूम पड़ा कि न केवल वे हमारी "रक्षा" करने में असमर्थ थे, बल्कि पांच साल की अवधि में उन्होंने दो बार हमारे देश को जापानियों को बेच दिया था। नौ मार्च से पहले कई मौकों पर वियतनाम लीग ने फ़्रांस के लोगों से आग्रह किया था कि जापान के खिलाफ युद्ध में उनके साथ जुड़ जाएं।
इस प्रस्ताव पर सहमत होने के बजाय फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों ने वियतनाम के लोगों के खिलाफ अपनी आतंकवादी गतिविधियों को इतना बढ़ा दिया कि भागने से पहले उन्होंने येन बे और काओ बैंग में हिरासत में लिए गए हमारे राजनीतिक कैदियों को बड़ी संख्या में मार डाला। इस सब के बावजूद, हमारे साथी-नागरिकों ने हमेशा फ्रांसीसी के प्रति एक सहिष्णु और मानवीय दृष्टिकोण प्रकट किया है।
मार्च 1945 में जापान के नियंत्रण लेने के बाद भी वियतनाम लीग ने कई फ्रांसीसी लोगों को सीमा पार करने में मदद की। उनमें से कुछ को जापानी जेलों से बचाया और फ्रांसीसी जीवन और संपत्ति की रक्षा की। 1940 की शरद ऋतु से हमारा देश वास्तव में फ्रांसीसी उपनिवेश नहीं रह गया था, यह जापानी अधिकार बन गया था। जापानियों द्वारा मित्र राष्ट्रों के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद हमारा हर नागरिक हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता को पुनः प्राप्त करने और वियतनाम के लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना के लिए उठ खड़ा हुआ।
सच तो यह है कि हमने अपनी आजादी जापानियों से छीनी है, फ्रांसीसियों से नहीं। फ़्रांसीसी भाग गए, जापानी हार गए और सम्राट बो डाइ सत्ता से ओझल हो गए। हमारे लोगों ने उन जंजीरों को तोड़ दिया जो लगभग एक सदी से उन्हें बांधे हुए थीं और पितृभूमि के लिए स्वतंत्रता प्राप्त की। साथ ही साथ हमारे लोगों ने उस राजशाही शासन को भी उखाड़ फेंका जिसने दर्जनों शताब्दियों से हम पर शासन किया।
उसके स्थान पर वर्तमान लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की गई है। इन कारणों से हम अनंतिम सरकार के सदस्य पूरे वियतनामी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हुए घोषणा करते हैं कि अब से हम फ्रांस के साथ औपनिवेशिक चरित्र के सभी संबंधों को तोड़ते हैं; हम उन सभी अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को निरस्त करते हैं जिन्हें फ़्रांस ने अब तक वियतनाम की ओर से स्वीकार किया है और हम उन सभी विशेष अधिकारों को समाप्त करते हैं जिन्हें फ़्रांस ने हमारी पितृभूमि में अवैध रूप से प्राप्त किया था।
एक समान उद्देश्य से अनुप्राणित संपूर्ण वियतनामी लोग अपने देश को फिर से जीतने के लिए फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों के किसी भी प्रयास के खिलाफ अंत तक लड़ने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं। हमें विश्वास है कि जिन मित्र राष्ट्रों ने तेहरान और सैन फ्रांसिस्को में आत्मनिर्णय और राष्ट्रों की समानता के सिद्धांतों को स्वीकार किया है, वे वियतनाम की स्वतंत्रता को स्वीकार करने से इनकार नहीं करेंगे।
जिन लोगों ने 80 से अधिक वर्षों से फ्रांसीसी वर्चस्व का साहसपूर्वक विरोध किया है, जो लोग इन अंतिम वर्षों में फासीवादियों के खिलाफ मित्र राष्ट्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़े हैं, ऐसे लोगों को स्वतंत्र होना चाहिए।
इन कारणों से हम वियतनाम लोकतांत्रिक गणराज्य की अनंतिम सरकार के सदस्य दुनिया के सामने यह घोषणा करते हैं कि वियतनाम को एक स्वतंत्र देश होने का अधिकार है और वास्तव में ऐसा पहले से ही है। सभी वियतनामी लोग अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने जीवन और संपत्ति का बलिदान करने के लिए अपनी सारी शारीरिक और मानसिक शक्ति जुटाने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं।
* नोट- वियतनाम के लोकतांत्रिक गणराज्य का नाम बदलकर वियतनाम का समाजवादी गणराज्य कर दिया गया है।