हो ची मिन्ह
हो ची मिन्ह का वास्तविक नाम गुयेन तात थान (1890-1969) था| वे वियतनामी कम्युनिस्ट नेता और फ्रांसीसी औपनिवेशिक शासन के खिलाफ वियतनामी संघर्ष के प्रमुख व्यक्तित्व थे। हो का जन्म 19 मई 1890 को अन्नाम (मध्य वियतनाम) के किमिलियन गांव में हुआ था। वह एक अधिकारी के बेटे थे, जिन्होंने अपने देश में फ्रांसीसी शासन के विरोध में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हो ने ह्यू में स्कूल में पढ़ाई की और फिर कुछ समय के लिए फ़ान थियेट के एक निजी स्कूल में पढ़ाया। 1911 में उन्हें फ्रांसीसी स्टीमशिप लाइनर पर रसोइया के रूप में नियुक्त किया गया। इसके बाद उन्होने लंदन और पेरिस में भी काम किया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद छद्म नाम गुयेन ऐ क्वोक (गुयेन द पैट्रियट) का उपयोग करते हुए हो वियतनाम स्वतंत्रता आंदोलन की गतिविधियों में लग गए। वह फ्रांसीसी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक समूह में से एक थे। उन्हें प्रशिक्षण के लिए मास्को बुलाया गया और 1924 के अंत में उन्हें कैंटन, चीन भेजा गया। वहां उन्होंने वियतनामी निर्वासितों को इक्ट्ठा कर उनके बीच क्रांतिकारी आंदोलन को सूत्रापात किया। जब स्थानीय अधिकारियों ने कम्युनिस्ट गतिविधियों पर नकेल कसी तो उन्हें चीन छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन वह 1930 में इंडोचाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (ICP) को फिर स्थापित करने के लिए लौट आए। वह कम्युनिस्ट इंटरनेशनल के प्रतिनिधि के रूप में हांगकांग में रहे। जून 1931 में हो को ब्रिटिश पुलिस ने वहां गिरफ्तार कर लिया और 1933 में अपनी रिहाई तक जेल में रहे। फिर वह सोवियत संघ वापस लौट गए। वहां कई सालों तक वह तपेदिक की बीमारी से जूझते हुए इलाज कराते रहे। 1938 में वे चीन लौट आए और चीनी कम्युनिस्ट सशस्त्र बलों के सलाहकार के रूप में कार्य किया। 1941 में जब जापान ने वियतनाम पर कब्जा कर लिया तो उन्होंने आईसीपी नेताओं के साथ फिर से संपर्क साधा और नए कम्युनिस्ट-प्रभुत्व वाले स्वतंत्रता आंदोलन को संगठित करने में मदद की। इसे वियतमिन्ह के नाम से जाना जाता है, जिसने जापानियों से लड़ाई लड़ी। अगस्त 1945 में जब जापान ने आत्मसमर्पण किया तो वियतमिन्ह ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और हनोई में वियतनाम लोकतांत्रिक गणराज्य (DRV) की घोषणा की। हो ची मिन्ह, जिन्हें अब उनके अंतिम और सबसे प्रसिद्ध छद्म नाम (जिसका अर्थ है "ज्ञानवर्धक") से जाना जाता है, राष्ट्रपति बने। फ्रांसीसी अपने औपनिवेशों को स्वतंत्रता देने के लिए तैयार नहीं थे। वे 1946 के अंत तक वियतमान के स्वतंत्रता आंदोलन को पूरी ताकत से कुचलते रहे। आठ वर्षों के लिए वियतनाम के पहाड़ों और चावल के खेतों में वियतमिन्ह गुरिल्लाओं ने फ्रांसीसी सैनिकों से लड़ाई लड़ी। अंत में उन्हें 1954 में दीन बिएन फु की निर्णायक लड़ाई में हराया। हालांकि, हो अपनी संपूर्ण जीत से वंचित रहे। बाद में जिनेवा में हुई बातचीत ने देश को विभाजित कर दिया। हो और उनके समूह को केवल उत्तर वियतनाम सौंपा गया। हो के प्रतिनिधित्व में डीआरवी अब उत्तरी वियतनाम में कम्युनिस्ट समाज के निर्माण में जुट गई। हालांकि, 1960 के दशक की शुरुआत में दक्षिण में संघर्ष फिर से शुरू हो गया, जहां कम्युनिस्ट के नेतृत्व वाले गुरिल्लाओं ने साइगॉन में यू.एस.ए. समर्थित शासन के खिलाफ विद्रोह शुरू कर दिया। खराब स्वास्थ्य होने के कारण हो अब महज औपचारिक भूमिका तक सीमित रह गए थे। दो सितंबर, 1969 को हनोई में हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया। उनके सम्मान में 1975 में दक्षिण की कम्युनिस्ट विजय के बाद साइगॉन का नाम बदलकर हो ची मिन्ह सिटी कर दिया गया। हो ची मिन्ह न केवल वियतनामी साम्यवाद के संस्थापक थे, वे क्रांति और स्वतंत्रता के लिए वियतनाम के संघर्ष की आत्मा थे। न केवल वियतनाम के भीतर बल्कि अन्य जगहों पर भी उनकी सादगी, अखंडता और दृढ़ संकल्प के लिए व्यापक रूप से प्रशंसा की गई।.