अफ्रीका की रूह से

यह भाषण रॉय सेसाना ने राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड से पुरस्कृत होने पर दिया था। भाषण अफ्रीका की रूह से निकला है, लेकिन यह हिंदुस्तान की रूह से निकला भी हो सकता है। जैसे बोत्सवाना की सरकार विकास के नाम पर वहां के आदिवासियों से ज़मीनें छीन रही है और उनका कत्लेआम कर रही है, वैसा ही हिंदुस्तान की सरकार भी विकास के नाम पर उपमहाद्वीप में रहने वाले आदिवासियों के साथ कर रही है। अगर बोत्सवाना में उनको हीरों के लिए अपनी ज़मीनों से अलग किया जा रहा है तो यहां पर कोयले, अल्युमीनियम, लोहे इत्यादि के लिए आदिवासियों को उनकी ज़मीनों और जंगल से वंचित किया जा रहा है। हम में से बहुत से लोग यह नहीं समझ पाते कि आदिवासी जल, जंगल, ज़मीन को बचाने के लिए सरकार, आर्मी और पुलिस से क्यों लड़ रहे हैं? हम मानते हैं कि वे उग्रवादी हैं या आदिकालीन बेवकूफ हैं, जो आधुनिक दुनिया की जरूरतें नहीं समझते। हम को लगता है कि हम उनको अगर सही चीजें पढ़ा-सिखा देंगे तो वे हमारा नजरिया समझ जाएंगे और अपनी सारी ज़मीनें बिना लड़े ही हमें दे देंगे। सच तो यह है कि हम उनका नजरिया समझने में नाकामयाब रहे हैं। उनकी ज़मीनें ही उनकी ज़िंदगी हैं। वे आदिकालीन भी नहीं है, बस हमसे अलग तरीके से आधुनिक हैं। हो सकता है उनके बारे में पढ़-सीख कर हम उनके जीने के तरीके का आदर करना सीख जाएं और उनके बारे में जो गलत-सलत धारणाएं हमने बना रखी हैं, उन्हें भूल जाएं। हो सकता है हम भी उनकी ज़मीनें बचाने के लिए हिन्दुस्तानी सरकार से भिड़ जाएं।

अफ्रीका की रूह से

 

अनुवाद: अक्षत जैन और अंशुल राय
स्तोत्र: Right Livelihood 

मेरा नाम रॉय सेसाना है; मैं कालाहारी में रहने वाला गाना बुशमैन हूं। कालाहारी के उस इलाके को अब बोत्सवाना के नाम से जाना जाता है। मेरी भाषा में मेरा नाम टोबी है और हमारी ज़मीन का नाम है टा//अम। कोई भी समुदाय किसी जगह इतने लंबे समय नहीं रहा होगा जितने लंबे समय से हम हमारी ज़मीन पर रह रहे हैं।    

जवानी में मैं एक खदान में काम करने गया था। मैंने अपनी चमड़ियां उतार लीं और कपड़े चढ़ा लिए। लेकिन कुछ समय बाद मैं वापस घर लौट आया। क्या इसके कारण मैं कम बुशमैन हो गया? मुझे नहीं लगता।

मैं नेता हूं। जब मैं छोटा था तब हमें नेताओं की जरूरत नहीं पड़ती थी और हम अच्छा-भला जीवन यापन कर लेते थे। अब हमें उनकी जरूरत है, क्योंकि हमारी ज़मीन लूटी जा रही है और हमें ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसका यह मतलब नहीं है कि मैं लोगों को आदेश देता हूं; स्थिति असल में उलट है: वे मुझे बताते हैं कि उनकी मदद करने के लिए मुझे क्या करना चाहिए।

मुझे पढ़ना नहीं आता। आप लोग चाहते थे कि मैं यह भाषण लिखूं, तो मेरे दोस्तों ने मेरी मदद की, लेकिन मुझे अक्षर पढ़ने नहीं आते—माफ कीजिएगा! मगर मुझे ज़मीन और जानवरों को बखूबी पढ़ना आता है। हमारे सारे बच्चों को आता है। अगर नहीं आता होता तो वे सब बहुत पहले ही मर चुके होते।

मैं ऐसे बहुत से लोगों को जानता हूं जिनको शब्द पढ़ने आते हैं और कई मेरे जैसों को भी, जो केवल ज़मीन पढ़ सकते हैं। दोनों ही तरीकों के लोग महत्वपूर्ण हैं। हम लोग पिछड़े हुए या कम बुद्धि वाले नहीं हैं: हम लोग बिल्कुल उसी वार्षिक कलेंडर में जीते हैं, जिसमें आप जीते हैं। मैं कहने वाला था कि हम लोग सब एक से सितारों के नीचे रहते हैं, लेकिन नहीं, वे अलग हैं, और कालाहारी में काफी ज़्यादा हैं। सूरज और चांद एक से हैं।

मैं शिकार करते-करते बड़ा हुआ। हमारे समाज में सब ही लड़के और आदमी शिकारी थे। शिकार करने का मतलब है, जाकर जानवरों से बात करना। शिकार में आपको जाकर कुछ चुराना नहीं होता। जाकर मांगना होता है। या तो आप जाल बिछाते हैं या फिर आप धनुष या बरछी के साथ जाते हैं। शिकार में आपको कई दिन लग सकते हैं। आप हिरन का पीछा करते हैं। उसको पता है आप वहां हैं, उसको पता है कि उसे आपको अपनी शक्ति देनी है। लेकिन वो भागता है और आपको भी भागना पड़ता है। जैसे ही आप भागते हैं, आप उसके जैसे बनते जाते हैं। यह कई घंटों तक चल सकता है, जिसमें हिरन और आप दोनों थक जाएंगे। आप उससे बात करते हैं, उसकी आंखों में देखते हैं और फिर उसको पता होता है कि उसको अपना जीवन आपको देना है, जिससे आपके बच्चे ज़िंदा रह सकें।

मैंने जब पहली बार शिकार किया था, तब मुझे खाने की अनुमति नहीं दी गई थी। हिरन के टुकड़ों को जड़ों के साथ भूनकर मेरे शरीर पर पोत दिया गया था। इस प्रकार मैंने शिक्षा प्राप्त की। आप लोग ऐसे शिक्षित नहीं होते, लेकिन यह काम करता है।

किसान बोलता है कि वह पिछड़े हुए शिकारी से ज़्यादा उन्नत है, मगर मैं उसकी बातों पर विश्वास नहीं करता। उसके झुंड हमारे झुंड से ज़्यादा खाना नहीं देते। हिरन हमारे ग़ुलाम नहीं हैं। वे अपनी गर्दन पर घंटी लटकाए नहीं घूमते। वे उस आलसी गाय या उसके रखवाले से कहीं ज़्यादा तेज भाग सकते हैं। हम और हिरन ज़िंदगी में साथ-साथ भागते हैं।

जब मैं हिरन के सींग पहनता हूं तो मैं अपने पुरखों से बात कर पाता हूं और वे मेरी मदद करते हैं। पुरखे बहुत ही ज़्यादा महत्व रखते हैं: हम उनके बिना जिंदा न होते। सब लोग अपने दिलों में यह बात जानते हैं, लेकिन कुछ लोग इस बात को भूल गए हैं। क्या हम में से कोई भी यहां अपने पुरखों के बिना हो सकता है? मुझे तो नहीं लगता।

मुझे उपचारक बनने की ट्रेनिंग मिली है। इसके लिए आपको पेड़-पौधों और रेत को पढ़ना सीखना होता है। आपको जड़ों को खोदना होता है और यह सब करने के लिए दुरुस्त होना होता है। कुछ जड़ें आप कल के बारे में सोच कर वापस गाड़ देते हैं, जिससे कि एक दिन आपके पोते-पोती उन्हें ढूंढ कर खा सकें। आप वे सब सीखते हैं, जो ज़मीन आपको बताती है।

जब बूढ़े मरते हैं तो हम उन्हें गाढ़ देते हैं और वे पुरखे बन जाते हैं। जब कोई बीमारी आती है, तब हम नाचते हैं और पुरखों से बात करते हैं; वे मेरे खून के माध्यम से बोलते हैं। मैं बीमार व्यक्ति को छू कर उसकी बीमारी का पता लगा सकता हूं और उसे ठीक कर सकता हूं।  

हम अपने पोते-पोतियों के बच्चों के पुरखे हैं। हम उनकी देखभाल बिल्कुल वैसे ही करते हैं जैसे हमारे पुरखों ने हमारी देखभाल की थी। हम यहां अपने लिए नहीं हैं। हम यहां एक-दूसरे के लिए हैं, अपने पोते-पोतियों के बच्चों के लिए हैं।

मैं यहां क्यों हूं? क्योंकि मेरे लोगों को अपनी ज़मीन से लगाव है और उसके बिना हम मर रहे हैं। बहुत साल पहले, बोत्सवाना के राष्ट्रपति ने कहा था कि हम अपनी पुश्तैनी ज़मीनों पर सदैव के लिए रह सकते हैं। यह जानने के लिए हमें किसी के बताने की जरूरत नहीं है। बेशक हम वहां रह सकते हैं, जहां भगवान ने हमें बनाया है! लेकिन अगले राष्ट्रपति ने कहा कि हमें वहां से हटना होगा और वे हमें जोर-जबरदस्ती करके निकालने लगे।

उन्होंने हमसे कहा कि हमें हीरों के कारण यहां से निकलना होगा। फिर उन्होंने कहा कि हम बहुत ज़्यादा जानवरों को मार रहे हैं: जो सरासर झूठ था। वे ऐसे कई झूठ दोहराते रहते हैं। उन्होंने कहा कि हमें निकलना पड़ेगा, जिससे सरकार हमें विकसित कर सके। राष्ट्रपति का कहना है कि हमें अपने तौर-तरीके बदलने होंगे वरना डोडो की तरह हमारा भी विनाश हो जाएगा। मुझे नहीं पता था कि डोडो क्या है। मगर मुझे बाद में मालूम पड़ा कि डोडो एक चिड़िया है, जिसका विनाश औपनिवेशिकों ने किया था। राष्ट्रपति सही कह रहे थे। वे हमें हमारी ज़मीनों से खदेड़कर हमारा विनाश कर रहे हैं। वे हमें टॉर्चर करते हैं और हम पर गोलियां चलाते हैं। उन्होंने मुझे भी गिरफ्तार करके पीटा है।

राइट लाइवलीहुड अवॉर्ड से मुझे पुरस्कृत करने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया। यह एक वैश्विक पहचान है, जो हमारे संघर्ष की आवाज को पूरी दुनिया में बुलंद करेगी। जब मुझे मालूम पड़ा कि मैंने यह पुरस्कार जीता है तब मैं जेल से बस निकला ही था। एक तरफ मैं यहां खड़ा हूं और दूसरी तरफ वे कह रहे हैं कि मैं मुजरिम हूं।    

मैं पूछता हूं कि यह किस तरह का विकास है, जिसके बाद लोग पहले से भी कम समय के लिए जीवित रहते हैं? उनको एचआईवी/एड्स जैसी बीमारियां पकड़ लेती हैं। हमारे बच्चों को स्कूल में पीटा जाता है और इसलिए वे वहां जाना नहीं चाहते। उनमें से कुछ वेश्या बन गए। उन्हें शिकार करने की अनुमति नहीं है। बोरियत में पड़े रहने पर वे शराब पीते हैं और एक-दूसरे से लड़ने लगते हैं। उन्होंने आत्महत्या करना शुरू कर दिया है। पहले हमने ऐसा कुछ नहीं देखा था। ये बोलने में भी मुझे दर्द हो रहा है। क्या यही ‘विकास’ है?

हम लोग आदिकालीन नहीं हैं। हम आप लोगों से अलग तरीके से रहते हैं, लेकिन आप ही की तरह हम भी वैसे नहीं रहते जैसे हमारे दादा-दादी रहते थे। क्या आपके पुरखे ‘आदिकालीन’ थे? मुझे नहीं लगता। हम अपने पुरखों का सम्मान करते हैं, अपने बच्चों से प्यार करते हैं और यह सब लोगों के लिए समान है।

अब हमें सरकार को हमारी ज़मीनें चुराने से रोकना है, क्योंकि बिना अपनी ज़मीनों के हम मारे जाएंगे।

अगर किसी ने बहुत-सी किताबें पढ़ी हैं और उन्हें लगता है कि मैंने एक भी किताब नहीं पढ़ी है, इसलिए मैं आदिकालीन हूं, तो उसे वे सारी किताबें फेंक देनी चाहिए और ऐसी किताब लानी चाहिए जो कहती हो कि हम सब एक भगवान के बनाए हुए भाई-बहन हैं और हमको भी जीने का हक है।

आज के लिए बस इतना ही। शुक्रिया।

अब मैं अपने पुरखों के बारे में एक गाना बजाऊंगा। गाने के बोल का मतलब है: ‘बोत्सवाना की सरकार, कृपया हमें हमारे पुरखों की ज़मीन पर हमारी संस्कृति के हिसाब से जीवन जीने दो।’   

    

(इस लेख को एडिट करने में शहादत खान ने मदद की है)

रॉय सेसाना
रॉय सेसाना

रॉय सेसाना, जिनका बुशमैन नाम टोबी है, गाना, ग्वी और बकगलागड़ी कॉमों के सबसे प्रबल वक्ताओं में से एक हैं। उनका जन्म बोत्सवाना में मोलापो नाम की बुशमैन कॉम में कम से कम पैंसठ साल पहले हुआ था। दक्षिण अफ्रीका में कुछ साल मज़दूर के तौर पर काम करने के बाद वह 1971 में उपचारक बनने की ट्रेनिंग लेने के लिए... रॉय सेसाना, जिनका बुशमैन नाम टोबी है, गाना, ग्वी और बकगलागड़ी कॉमों के सबसे प्रबल वक्ताओं में से एक हैं। उनका जन्म बोत्सवाना में मोलापो नाम की बुशमैन कॉम में कम से कम पैंसठ साल पहले हुआ था। दक्षिण अफ्रीका में कुछ साल मज़दूर के तौर पर काम करने के बाद वह 1971 में उपचारक बनने की ट्रेनिंग लेने के लिए कालाहारी वापस आ गए। वह ‘फर्स्ट पीपल ऑफ द कालाहारी’ (एफपीके) के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे। यह संस्था 1991 में बुशमैन कॉमों के मानवाधिकारों और ज़मीन के अधिकारों के लिए लड़ने के लिए बनाई गई थी। सेसाना को 2005 में राइट लाइव्लीहुड अवॉर्ड से पुरस्कृत किया गया था।