जब मुझे आखिरी से पहली बार तोप से उड़ाया गया

आदमी अकेलेपन से दूर भागने के लिए बहुत कुछ कर सकता है। सिर्फ पैसा ही इंसान को प्रेरित नही करता, वह किसी और से एक हंसी के लिए भी तरस सकता है। हम आर्थिक प्राणी नहीं, सामाजिक प्राणी हैं। यह छोटी सी कहानी केरेट के निराले अंदाज में बस यही बताती है।

जब मुझे आखिरी से पहली बार तोप से उड़ाया गया

पटचित्र: एरिक हैंज़ 

अनुवाद: अक्षत जैन

मुझे तोप से तब उड़ाया गया था जब ओडेलिया हमारा बच्चा लेकर चली गई थी। शहर में आए रोमानी सर्कस में मैं पिंजरे साफ़ करने का काम कर रहा था। मैंने शेर के पिंजरे आधे घंटे में साफ़ कर दिए और भालू के पिंजरे भी, लेकिन हाथी के पिंजरों ने मेरी कमर तोड़ दी। मेरी पीठ में दर्द होने लगा और पूरी दुनिया से टट्टी-सी बू आने लगी। मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हो गई थी और टट्टी की बू उससे एकदम सही मेल खा रही थी। मुझे आराम की जरूरत थी तो मैंने पिंजरे के बाहर का किनारा पकड़ा और सिगरेट बना ली। ऐसा करने से पहले मैंने अपने हाथ भी नहीं धोये।

एक-दो कश लेने के बाद मुझे अपने पीछे से झूठ-मूठ खांसने की हल्की-सी आवाज़ आई। वह आवाज़ सर्कस के मालिक की थी। उसका नाम रोमन था और उसने वह सर्कस जुए में जीता था। सर्कस का पिछला मालिक बूढ़ा रोमानी था। वह हाथ में तीन रानियां लिए बैठा था, मगर रोमन के पास चार पत्तों की ट्रेल थी। उसने मुझे यह कहानी उसी दिन बता दी थी जिस दिन मुझे काम पर रखा था।

‘अगर चीटिंग करना आता हो,’ उसने मुझे आंख मारते हुए कहा, ‘तो नसीब की किसको ज़रूरत है।’

मुझे पूरा यकीन था कि रोमन बखेड़ा करेगा, क्योंकि मैं काम के बीच में आराम फर्मा रहा था। मगर वह तो गुस्सा भी नहीं लगा

‘मुझे बताओ,’ उसने कहा, ‘तुम्हें आसानी से हज़ार रुपए कमाने हैं?’

मैंने हां में अपना सिर हिलाया, और उसने बोलना जारी रखा, ‘मैंने अभी-अभी हमारे इंसानी तोप के गोले इश्तेवन को देखा, उसके कारवां में। वो नशे में धुत्त है। मैं उसे उठा नहीं पाया और कार्यक्रम पंद्रह मिनट में शुरू होना है . . .’ रोमन ने अपने हाथ से तोप के गोले का हवा में रास्ता बनाया, जो मेरे माथे पर आकर रुका, ‘मैं तुम्हें हज़ार रुपए दूंगा नकद, अगर तुम उसकी जगह ले लोगे तो।’

‘मैं तोप से कभी उड़ाया नहीं गया हूं,’ मैंने कहा और अपनी सिगरेट का एक और कश खींचा।

‘अरे ऐसे कैसे, तुम बिल्कुल तोप से उड़ाये गए हो,’ रोमन ने कहा, ‘जब तुम्हारी पिछली प्रेमिका ने तुम्हें छोड़ा, जब तुम्हारे बेटे ने तुम्हें कहा कि वो तुमसे नफरत करता है, जब तुम्हारी मोटी बिल्ली भाग गई। सुनो, इंसानी तोप का गोला होने के लिए तुम्हें लचीला या तेज़ या ताकतवर होने की ज़रूरत नहीं है, बस बेहद अकेला और दुखी होने की ज़रूरत है।’

‘मैं अकेला नहीं हूं,’ मैंने विरोध करने की कोशिश की।

‘सच में?’ रोमन हंसा, ‘तो मुझे बताओ, सेक्स की तो छोड़ ही दो, आखिरी बार तुम्हें देख के कोई मुस्कुराया भी कब था?’

शो से पहले उन्होंने मुझे चांदी के रंग के कपड़े पहना दिए। मैंने एक विशाल लाल नाक वाले बूढ़े जोकर से पूछा कि क्या उड़ाये जाने से पहले मुझे कुछ निर्देश नहीं मिलने चाहिए?

वह बड़बड़ाते हुए बोला, ‘यह महत्वपूर्ण है कि अपने शरीर को ढीला छोड़ो या सिकोड़ लो। उन दोनों में से एक। मुझे ठीक से याद नहीं। और यह निश्चित करना जरूरी है कि तोप का मुंह सीधा हो, जिससे तुम निशाने से चूको नहीं।’

‘बस इतना ही?’ मैंने पूछा।

चांदी के कपड़ों में भी मुझसे हाथी की टट्टी की बू आ रही थी। सर्कस के मालिक ने आकर मेरी पीठ थपथपाई।

‘याद रखना,’ उसने कहा, ‘जब वो तुम्हें निशाने की तरफ उड़ा दें, उसके बाद सीधा मंच पर आना, मुस्कुराना और अपना सिर झुकाकर सबको सलाम करना। और अगर, भगवान न करे, कुछ दर्द करने लगे या फिर कुछ टूट भी जाए, उसे अपने अन्दर दबा के रखना, तुम्हारे चेहरे पर एक शिकन तक नहीं आनी चाहिए जो दर्शकों को दिख जाए।’

सारे दर्शक बड़े ही खुश लग रहे थे। उन्होंने उन जोकरों के लिए ताली बजाई, जिन्होंने मुझे तोप के अन्दर ढकेला।

बत्ती जलने के एक सेकंड पहले, फूल के आकार की पिचकारी वाले मोटे जोकर ने मुझसे पूछा, ‘तुम्हें पूरा यकीन है तुम ये करना चाहते हो? ये आखिरी मौका है अपना फैसला बदलने का।’

मैंने अपना सिर हिलाया और उसने कहा, ‘तुमको पता है वो इश्तेवन, पिछला तोप का इंसानी गोला, वो अभी अस्पताल में है दस टूटी पसलियों के साथ?’

‘वो नहीं है,’ मैंने कहा, ‘वो बस थोडा नशे में है। अपने कारवां में सो रहा है।’

‘जैसा तुम कहो,’ मोटे जोकर ने आह भरी और माचिस की तिल्ली जलाई।

उसके बारे में अब सोचता हूं तो मुझे याद आता है कि तोप का मुंह कुछ ज़्यादा ही ऊपर की तरफ था। निशाने पर लगने की जगह मैं ऊपर की ओर उड़ा, तंबू में छेद किया और आसमान की ओर उड़ता रहा, बहुत ऊपर। मैं परित्यक्त गाड़ी से जाने वाले थिएटर के ऊपर उड़ा, जहां मैं और ओडेलिया एक वक़्त पर फिल्में देखने जाते थे। मैं खेल के मैदान के ऊपर उड़ा, जहां कुछ कुत्तों के मालिक सरसराते प्लास्टिक के थैलों के साथ घूम रहे थे। छोटा मैक्स भी वहां था, बॉल के साथ खेलता हुआ, और जब मैं उसके ऊपर से उड़ा तो उसने ऊपर देखा, मुस्कुरुया और अपने हाथ हिलाकर मुझे हैलो किया। यारकोन स्ट्रीट पर, उस जगह पर पीछे जहां अमरीकी दूतावास अपना कूड़ा फेंकता है, मुझे टाइगर दिखा, मेरा मोटा बिल्ला, कबूतर पकड़ने की कोशिशों में डटा हुआ। कुछ सेकंड के बाद जब मैं पानी में गिरा तो मुट्ठी भर लोग, जो समुद्र किनारे पर थे, खड़े हुए और मेरे लिए ताली बजाने लगे, और जब मैं पानी से निकला तो नाक में बाली लगाने वाली लम्बी लड़की ने मुस्कुराकर मुझे अपना तौलिया पकडाया।

जब मैं वापस सर्कस लौटा तो मेरे कपड़े तब भी गीले थे और सब जगह अंधेरा था। तंबू खाली था और उसके बीचों-बीच, उस तोप के पास, जिससे मुझे उड़ाया गया था, रोमन उस दिन की कमाई गिन रहा था।

‘तुम निशाने से चूक गए,’ वह शिकायत करने लगा, ‘और तुम सिर झुकाने के लिए वापस भी नहीं आये, जैसे कि हमारी बात हुई थी। मैं चार सौ उसके लिए काट रहा हूं।’

उसने मुझे कुछ सिकुड़े हुए नोट पकडाये और जब उसने देखा कि मैं उन्हें नहीं ले रहा हूं तो मेरी तरफ डरावने पूर्वी यूरोपीय तरीके से देखा और कहा, ‘अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो ले लेता।’

‘पैसे भूल जाओ रोमन,’ मैंने कहा और तोप के मुंह के पास जाकर खड़ा हो गया, ‘दोस्त पर अहसान करो और मुझे एक और बार उड़ा दो।’     

 

एटगार केरेट
एटगार केरेट

एटगार केरेट (1967 - ) इज़राइली लेखक हैं जो अपनी लघु कहानियों, ग्राफिक उपन्यास, और फ़िल्म और टी.वी. के लिए किए गए पटकथा लेखन के लिए जाने जाते हैं | उन्हें फ्रान्ज़ काफ्का की कहानियां बहुत पसंद हैं और वही कहानियां उनकी प्रेरणास्त्रोत भी हैं। फिलिस्तीन पर इज़राइल के कब्ज़े के बारे में वे सीधे सीधे नहीं... एटगार केरेट (1967 - ) इज़राइली लेखक हैं जो अपनी लघु कहानियों, ग्राफिक उपन्यास, और फ़िल्म और टी.वी. के लिए किए गए पटकथा लेखन के लिए जाने जाते हैं | उन्हें फ्रान्ज़ काफ्का की कहानियां बहुत पसंद हैं और वही कहानियां उनकी प्रेरणास्त्रोत भी हैं। फिलिस्तीन पर इज़राइल के कब्ज़े के बारे में वे सीधे सीधे नहीं लिखते लेकिन उस कब्ज़े से जो लोगों पर मानसिक प्रभाव पड़ रहा है, उसको वे बहुत ही मार्मिक तरीके से पेश करते हैं | यही नहीं, वे दुनिया में कभी भी और कहीं भी इंसान होने की दशा को बखूबी समझते हैं और व्यक्त करते हैं | इनकी कहानियां रोज़मर्रा की साधारण ज़िन्दगी को दिलचस्प बना देती हैं और हमे अपने आस पास की दुनिया को नए नज़रिए से देखने पर मजबूर करती हैं | ये सरल चलती भाषा में लिखते हैं जो आम आदमी के समझ आ सके और इसलिए इनकी कहानियां विभिन्न देशों में लाखों लोग पढ़ते हैं | वैसे तो ये अपनी मातृभाषा हि‍ब्रू में लिखते हैं, मगर इनकी कहानियां इतनी लोकप्रिय हैं कि वे अब तक 42 भाषाओँ में अनुवादित हो चुकी हैं|


फोटो: यानाई येखईएल