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एटगार केरेट|Etgar Keret hindi translation

एटगार केरेट

एटगार केरेट (1967 - ) इज़राइली लेखक हैं जो अपनी लघु कहानियों, ग्राफिक उपन्यास, और फ़िल्म और टी.वी. के लिए किए गए पटकथा लेखन के लिए जाने जाते हैं | उन्हें फ्रान्ज़ काफ्का की कहानियां बहुत पसंद हैं और वही कहानियां उनकी प्रेरणास्त्रोत भी हैं। फिलिस्तीन पर इज़राइल के कब्ज़े के बारे में वे सीधे सीधे नहीं लिखते लेकिन उस कब्ज़े से जो लोगों पर मानसिक प्रभाव पड़ रहा है, उसको वे बहुत ही मार्मिक तरीके से पेश करते हैं | यही नहीं, वे दुनिया में कभी भी और कहीं भी इंसान होने की दशा को बखूबी समझते हैं और व्यक्त करते हैं | इनकी कहानियां रोज़मर्रा की साधारण ज़िन्दगी को दिलचस्प बना देती हैं और हमे अपने आस पास की दुनिया को नए नज़रिए से देखने पर मजबूर करती हैं | ये सरल चलती भाषा में लिखते हैं जो आम आदमी के समझ आ सके और इसलिए इनकी कहानियां विभिन्न देशों में लाखों लोग पढ़ते हैं | वैसे तो ये अपनी मातृभाषा हि‍ब्रू में लिखते हैं, मगर इनकी कहानियां इतनी लोकप्रिय हैं कि वे अब तक 42 भाषाओँ में अनुवादित हो चुकी हैं|


फोटो: यानाई येखईएल

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तुम्हारा आदमी|Tumhara Aadmi

तुम्हारा आदमी

धरातल पर यह कहानी एक ऐसे शख़्स के बारे में है जो लगातार अपने प्रेम संबंधों में नाकामयाबी झेलता है; जो अपने आप में सुधार लाने की जगह किसी और को अपनी असफलता का दोषी ठहरता है| लेकिन, अगर हम कहानी को थोड़ा और परखें तो यह सम्पूर्ण इज़राइली समाज के बारे में भी हो सकती है जो अपनी विफलताओं का दोषी फिलिस्तीनियों को ठहरता है| कहानी को देखने के यह दोनों दृष्टिकोण वहाँ जा कर मिलते हैं जहां मुख्य किरदार अपने दोषी के साथ वैसा ही करता है जैसा कि इज़राइली फिलिस्तीनियों के साथ करते हैं, और जैसा कि उसने खुद भी अतीत में फौज का सदस्य रहते हुए फिलिस्तीनियों के साथ किया है| यह कहानी हमें ये दिखाती है कि इंसान की मानसिकता अपने समाज से कितनी ज़्यादा प्रभावित होती है|

January 29, 2022
इज़राइल का दूसरा युद्ध|Israel Ka Doosra Yudh

इज़राइल का दूसरा युद्ध

हिंदुस्तान का एक युद्ध कश्मीर के साथ चल ही रहा है, लेकिन 'द कश्मीर फाइल्स' जैसी फिल्मों से साफ ज़ाहिर होता है कि हिंदुस्तान का दूसरा युद्ध उन हिंदुस्तानियों के साथ भी चल रहा है जो कश्मीरियों की स्वतंत्र राष्ट्र की आकांक्षा का समर्थन करते हैं। हिंदुस्तान के दक्षिणपंथी तत्वों के हिसाब से कश्मीर में युद्ध इसलिए नहीं चल रहा कि हिंदुस्तान ने कश्मीर पर कब्ज़ा कर रखा है और कश्मीरी उस कब्जे से आज़ादी चाहते हैं, बल्कि कश्मीर अभी भी युद्धरत इसलिए है, क्योंकि हिंदुस्तान के उदारवादी और वामपंथी कश्मीर को हिंदुस्तान का अभिन्न हिस्सा बनाने की राह में रोड़ा बने हुए हैं। उनके हिसाब से पहले युद्ध को खत्म करने के लिए उन ‘भीतरी शत्रुओं’ का सफाया करना जरूरी है जो दूसरे युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं। इसी धारणा के चलते उदारवादियों और वामपंथियों को राष्ट्र-विरोधी घोषित करके जेलों में भरा जा रहा है या उनका सीधा एनकाउंटर करके खत्म ही कर दिया जा रहा है। दक्षिणपंथी यहूदियों का स्वप्नमयी राष्ट्र इज़राइल भी इसी व्यथा से गुजर रहा है। वहां उन लोगों पर निशाना साधा जा रहा है जो फिलिस्तीनियों की स्वतंत्र राष्ट्र की आकांक्षा का समर्थन करते हैं। इज़राइल में घटित हो रही इन्हीं परिस्थितियों को समझाने के लिए लेख लिखा गया है। हो सकता है कि दूसरों को देखकर आप अपने बारे में भी कुछ सीख जाएं, और अगर दूर होने की वजह से आप फिलिस्तीनियों के लिए कुछ नहीं कर सकते तो शायद कश्मीरियों के लिए ही कुछ कर पाएं।

May 06, 2022