एक चुहिया
दुनिया के हर देश और समाज में निम्न वर्गीय लोगों, खासकर महिलाओं का जीवन लगभग एक जैसा है, मुसीबत और कठिनाइयों से भरा हुआ। निम्न वर्ग से संबंधित महिलाएं अपने जीवन में कितनी तकलीफों से गुज़रती है, इसकी एक झलक हमें इस कहानी में भी देखने को मिलती है, जो फ्रांस जैसे समृद्ध, संपन्न और वैभवशाली समाज के घिनौने चरित्र को उघाड़कर रख देती है। कहानी की प्रमुख पात्र 'चूहिया' है। 'चूहिया' एक भयभीत नौकरानी है, जो सीन नदी पर हाउसबोट में अपनी मालकिन के साथ रहती है। 'चूहिया' उपनाम उसे उसकी मालकिन ने उस अंतहीन भय के लिए दिया गया है, जो उसे नियंत्रित करता है और उसके व्यवहार की एक विशेषता बन गया है। 'चूहिया' हमेशा डरी हुई और सहमी-सी रहती है। उसके मन में हमेशा विभिन्न प्रकार के डर घूमते रहते हैं। इन डरों में नौकरी से बर्खास्त होने का डर, रोजगार की शर्तों के बिगड़ने का डर और नदी के किनारे घूमने वाले पुरुषों का डर जैसे डर शामिल हैं। लेकिन यह भी उसका डर ही है, जो उसे जानवर की तरह कामुकता की ओर ले जाता है, जिसे वह "कुछ भी असाधारण नहीं है" के रूप में परिभाषित करती है, और अंत में अपने स्वयं के निधन के ओर भी। निम्न वर्ग की अविवाहित महिला के लिए कामुकता एक खतरनाक चीज है। अगर इसे सावधानी से नहीं संभाला जाता है तो इसके परिणामों का सामना करना बहुत मुश्किल हो जाता है। मालकिन एकमात्र व्यक्ति है, जो 'चूहिया' को सुनने और उसकी मदद करने के लिए तैयार होती है। वह अकेली है जो 'चूहिया' को अपनी कहानी बताती है और उसे बचाने का प्रयास करती है। लेकिन पुरुष प्रधान समाज में ऐसा लगता है कि "बचाने वाली" महिला भी उसके उपनाम और स्थिति से 'चूहिया' को छुटकारा दिलाने में सफल नहीं हो पाएगी; वह एक बार भी चुहिया को उसके असल नाम से नहीं बुलाएगी, जिससे चुहिया एक जीवित व्यक्ति के रूप में बचाने योग्य बन पाए।
August 13, 2022