लंगड़ा सोफा
एक दिन मुझ पर स्पष्ट हुआ कि मैं उड़ सकता हूं। मेरे पर नहीं हैं मगर मैं हवा में तैर सकता हूं। एक रोज़ दोपहर से ज़रा पहले मुझे एक सिपाही ने रोका। उस सिपाही की ज़िम्मेदारी थी कि वह बाज़ारों में फिरने वाले मोटे लड़कों को शर्मिंदा करे। मैं मोटा था और मुझे मोटापे पर क़ाबू पाने के लिए बहुत-सी तर्तीब दी गई थीं। पुलिस के कारिंदे पूरे शहर की गलियों में खुंबियों की तरह पाए जाते थे।
February 04, 2024