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गुसान कनफानी|Ghassan Kanafani

गुसान कनफानी

8 अप्रैल 1936 में अविभाजित फलस्तीन में गुसान कनफानी का जन्म हुआ था। उनके पिता राष्ट्रीय स्तर के एक वकील थे। उनकी शुरुआती शिक्षा एक मिशनरी स्कूल में हुई। बाद में द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान फलस्तीन का विभाजन और इजराइल के उत्थान के कारण उन्होंने अपनी ज़िंदगी बेरुत, लेबनान और कतर जैसे देशों में शरणार्थी के रूप में गुजारी। कनफानी ‘लिबरेशन ऑफ फिलस्तीन’ मोर्चे के अग्रणी नेता थे और अपनी जीवन की दूसरी इकाई में ही वह एक कथाकार के रूप में नाम कमा चुके थे। उन्होंने शुरुआत में कहानियां लिखी। जिन्हें कतर और लेबनान की साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित भी किया गया। बाद में उन्होंने देश-बदर फिलस्तीनी युवाओं के शरणार्थी शिविरों में गुज़रती ज़िंदगी को आधार बनाकर ‘मेन इन द सन’ (1962), ‘मा ताबाक्काह लकम’, ‘उम्मे साद’ और ‘रिटर्न टू हाइफा’ (1970) जैसे चर्चित उपन्यास और कहानियों की रचना की। 8 जुलाई 1972 को ‘लोद हवाई अड्डे नरसंहार’ के जवाब में इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद ने इनकी हत्या कर दी।

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अब्दुल रहमान की मुस्कुराहट|Abdul Rehman Ki Muskurahat

अब्दुल रहमान की मुस्कुराहट

भ्रष्टाचार मनुष्य के डीएनए में बहता है। यह मानव समाज के हर हिस्से में व्याप्त है। समाज द्वारा पैदा की गई सभी बुराइयों में भ्रष्टाचार सबसे खतरनाक और पीड़ादायक बुराई है। इसके बावजूद, भ्रष्टाचर हमारे समाज से खत्म नहीं हुआ है। और न ही खत्म हुई है इससे जुड़ी पीड़ाएं। फिर ये पीड़ाएं जब दूसरी समस्याओं के साथ आती है तो इनकी तकलीफ और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसी ही असहनीय पीड़ाओं का बयान करती यह फलस्तीनी कहानी हमारे सामने न केवल शरणार्थी शिविर में रहने वाले लोगों की खस्ताहाल ज़िंदगी को बयान करती हैं, साथ ही यह भी बताती है कि इस खस्ताहाली ज़िंदगी में जब भ्रष्टाचार जैसी बुराई भी जुड़ जाए तो जीना कितना मुश्किल और तकलीफदेह हो जाता है...

March 26, 2022