हंसोड़
'अमृतसर आ गया' जैसी कालजयी कहानियों के लेखक भीष्म सहानी ने कहानी लेखन को लेकर एक बार कहा था कि लेखक यथार्थ का दामन नहीं छोड़ता, और साथ ही साथ उसका काया-पलट भी करने लगता है, ताकि वह मात्र घटना का ब्योरा न रहकर कहानी बन पाए, कला की श्रेणी में आ जाए।' द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जर्मन साहित्य के प्रमुख कहानीकारों में से एक हेनरिख बॉल ने प्रस्तुत कहानी में कहानी कला के माध्यम से जीवन के इन्हीं आयामों को बयान किया है। इस कहानी का अनुवाद हमारे समय के चर्चित कथाकार और उपन्यासकार चंदन पांडेय ने किया है।
January 07, 2023