लौंडी
यह एक ऐसा टकराव था, जिसका तजुर्बा कोई इन्सान कभी नहीं करना चाहेगा, लेकिन यह एक ऐसा टकराव था, जिससे गुरेज़ भी नहीं किया जा सकता था। उसकी कहानी मुझे ख़ुद उस लौंडी ने नहीं बल्कि दक्षिणी समुंद्री लहरों की भारी और नीरस गरज ने सुनाई थी, जो नौअग्राद के प्राचीन और अंधेरे क़िले की बुनियादों से टकराती हैं। एक रात मेरी हवेली की तन्हाई में मुझ तक यह आवाज़ पहुंची; उसने मुझे मेरी पहली नींद से जगाया और मजबूर किया कि मैं उसकी कहानी सुनूं।
January 20, 2024