मसारत आलम भट कश्मीर की आज़ादी के संघर्ष का एक प्रतिष्ठित और दृढ़ चेहरा हैं। सृनगर में जन्मे और पले-बढ़े मसारत आलम ने अपने युवा दिनों से ही कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार के लिए आवाज़ बुलंद करनी शुरू कर दी थी। वे उन चुनिंदा नेताओं में से हैं जिन्होंने लगातार सैन्य दमन, कारावास और निगरानी के बावजूद अपने विचारों और जनता के अधिकारों से समझौता नहीं किया। उनकी राजनीति कश्मीर के लोगों की आत्मसम्मान, गरिमा और अपने भविष्य का खुद निर्णय लेने के अधिकार पर आधारित रही है। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि स्वतंत्रता की भावना को जेल की दीवारें, हिरासतें या सत्ता के दमन से कुचला नहीं जा सकता। आज भी वे कश्मीरी जनता के आत्मसम्मान और अधिकारों की लड़ाई के एक प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।
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