नवाल एल सादवी
नवाल एल सादवी (1931–2021) नारीवादी लेखिका होने के साथ-साथ एक्टिविस्ट, फिजिशियन और मनोचिकित्सक भी थीं। उन्होंने इस्लाम में महिलाओं की स्थिति पर कई किताबें लिखीं। सादवी को ज्वलंत विषयों पर लिखने के चलते "मिस्र की सबसे कट्टरपंथी महिला" के रूप में भी वर्णित किया गया। उन्होंने अरबी में फिक्शन और नॉन फिक्शन दोनों तरह की 50 से अधिक किताबें लिखीं, जो अनुवाद के बाद वैश्विक पटल पर अपने चयनित विशेष विषयों के कारण चर्चा का केंद्र बनी। सेक्स, राजनीति और धर्म जैसे विषयों पर लिखने वाली सादवी का मानना था कि पितृसत्ता, पूंजीवाद और साम्राज्यवाद आपस में जुड़ी ऐसी प्रणालियां हैं, जो अरब महिलाओं पर सबसे ज्यादा अत्याचार करती हैं और उन्हें उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने से रोकती हैं। सादवी 'अरब महिला सॉलिडेरिटी एसोसिएशन' की संस्थापक और अध्यक्ष थीं। इसके अलावा, वह 'अरब एसोसिएशन फॉर ह्यूमन राइट्स' की सह-संस्थापक भी थीं। उन्हें तीन महाद्वीपों द्वारा मानद उपाधियों से सम्मानित किया गया। 2004 में उन्हें यूरोपीय काउंसिल का साउथ-नॉर्थ प्राइज दिया गया। 2005 में उन्होंने बेल्जियम में इनाना इंटरनेशनल अवॉर्ड जीता और 2012 में अंतर्राष्ट्रीय शांति ब्यूरो ने उन्हें 'शौन मैकब्राइड पीस प्राइज' से सम्मानित किया।.