सलीना हुसैन
सेलिना हुसैन का जन्म 14 जून 1947 को हुआ था। उन्हें आधुनिक बंगाली साहित्य के अग्रणी लेखकों में से एक माना जाता है। उनके अभी तक इक्कीस उपन्यास, सात कहानी संग्रह, चार निबंध संग्रह और बच्चों की कहानियों के चार संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी रचनाएं समकालीन सामाजिक और राजनीतिक संकटों और संघर्षों के साथ-साथ संघर्षरत जनता के जीवन के आवर्ती चक्रों का विस्तृत दस्तावेज हैं। उनके कई उपन्यासों का भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं और फ्रेंच, रूसी और अंग्रेजी में अनुवाद किया जा चुका है। उनका उपन्यास ‘हैंगोर नादी ग्रेनेड’ (ए शार्क, ए रिवर, ए ग्रेनेड) 1971 को बांग्लादेश मुक्ति संग्राम पर लिखा गया मौलिक उपन्यास माना जाता है। हाल तक उन्होंने राज्य-वित्तपोषित स्वायत्त निकाय ‘बांग्ला अकादमी’ की पहली महिला निदेशक के रूप में कार्य किया। उन्हें कई साहित्यिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, जिनमें प्रतिष्ठित बांग्ला अकादमी साहित्य पुरस्कार (1980) भी शामिल है। 1994-95 में उन्होंने अपने उपन्यास ‘गायत्री संध्या!’ के लिए फोर्ड फाउंडेशन फ़ेलोशिप जीती। वह बांग्लादेश, ढाका में रहती हैं।
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