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अनुवाद: शहादत और अक्षत जैन
एडना किराने का सामान लिए सड़क पर चल रही थी, जब उसे वो गाड़ी दिखी। गाड़ी की एक तरफ़ की खिड़की पर साइन लगा था:
औरत चाहिए।
वो रुकी। खिड़की पर एक बड़े कार्डबोर्ड के टुकड़े पर कुछ चिपका था। ज़्यादातर हिस्सा टाइपराइटर से लिखा हुआ था। एडना जहां फुटपाथ पर खड़ी थी, वहां से वह उसे पढ़ नहीं सकती थी। सिर्फ बड़े अक्षर दिख रहे थे:
औरत चाहिए।
गाड़ी नयी और महंगी थी। एडना घास पर कदम रखते हुए आगे बढ़ी, जिससे टाइपराइटर से लिखा हुआ हिस्सा पढ़ सके।
मर्द, उम्र 49। तलाकशुदा। शादी के लिए किसी औरत की तलाश में। उम्र 35 से 44 के बीच हो। टेलीविज़न और मोशन पिक्चर पसंद हो। अच्छा खाना पसंद हो। मैं एक अकाउंटेंट हूं, स्थायी नौकरी में। बैंक में पैसे हैं। मुझे थोड़ी मोटी औरतें पसंद हैं।
एडना 37 साल की थी और थोड़ी मोटी भी। एक फ़ोन नंबर भी लिखा था। औरत को तलाशते उस मर्द की तीन फोटो भी थीं। सूट और टाई में वह काफ़ी गंभीर और उबाऊ क़िस्म का लग रहा था। साथ ही सुस्त और थोड़ा क्रूर। और लकड़ी का बना हुआ भी, एडना ने सोचा, लकड़ी का बना हुआ।
एडना मुस्कुराते हुए वहां से चल दी। उसे उस आदमी के लिए एक तरह की घृणा महसूस हो रही थी। घर पहुंचते-पहुंचते वह उसके बारे में भूल गई। कुछ घंटों बाद बाथ टब में बैठे हुए उसने फिर से उस आदमी के बारे में सोचना शुरू किया, कि आख़िर वो कितना अकेला होगा कि उसे ऐसा करना पड़ा:
औरत चाहिए।
वह घर आता होगा, गैस और पानी का बिल उठाता होगा, टीवी ऑन करके कपड़े उतारकर नहाने जाता होगा। फिर शाम का अख़बार। फिर रसोई में खाना बनाने। निक्कर पहनकर कढ़ाई में घूरता हुआ। खाना लेकर टेबल पर बैठता होगा, फिर खाता होगा। कॉफ़ी पीता होगा। फिर और टीवी। और शायद सोने से पहले अकेले ही बियर का एक कैन। अमेरिका में ऐसे लाखों-करोड़ों मर्द हैं।
एडना टब से निकली, ख़ुद को पौंछा और अपार्टमेंट से बाहर गई। गाड़ी अभी भी वहीं थी। उसने उस आदमी का नाम और नंबर लिखा। जो लाइटहिल। उसने फिर से टाइपराइटर से लिखा हिस्सा पढ़ा। “मोशन पिक्चर”, कितना अजीब तरीक़ा है बात करने का। लोग अब सिनेमा और फ़िल्म बोलते हैं। औरत चाहिए। यह साइन बहुत बोल्ड था। यहां कुछ नयापन झलक रहा था।
घर आकर एडना ने कॉफी के तीन कप पिये और फिर नंबर मिलाया। फ़ोन की घंटी चार बार बजी।
“हैलो?” जो ने कहा।
“मिस्टर लाइटहिल?”
“हाँ?”
“मैंने आपका ऐड देख। आपकी गाड़ी पर।“
“ओह, हाँ।”
“मेरा नाम एडना है।”
“कैसी हो, एडना?”
“बस, सब बढ़िया। इतनी गर्मी हो रही है। मौसम का तो आजकल क्या ही कहें।”
“हाँ, जीना मुश्किल हो गया है।”
“तो, मिस्टर लाइटहिल . . .”
“मुझे बस जो ही कहो।”
“अच्छा, तो जो, हाहा, मुझे शर्म आ रही है। आपको पता है मैं किस बारे में कॉल कर रही हूं?”
“आपने मेरा साइन देखा होगा?”
“हाँ, मेरा मतलब, हाहा, आपको कोई प्रॉब्लम है क्या? आपको कोई औरत कैसे नहीं मिल रही?”
“ऐसा ही लगता है एडना। बताओ मुझे, वे कहाँ मिलती हैं?”
“औरतें?”
“हाँ।”
“हर जगह, और क्या।”
“कहाँ? बताओ मुझे। कहाँ?”
“अच्छा, चर्च, है ना। चर्च में औरतें होती हैं।”
“मुझे चर्च पसंद नहीं।”
“ओह, अच्छा।”
“सुनो, तुम आ क्यों नहीं जाती एडना?”
“आपका मतलब वहाँ?”
“हाँ, मेरा घर अच्छा है। हम लोग एक पेग पी सकते हैं, बातें कर सकते हैं, आराम से।”
“देर हो गई है।”
“इतनी देर नहीं हुई है। देखो, तुमने मेरा साइन देखा था। तुम्हें भी तो कुछ दिलचस्पी होगी।”
“मतलब . . .”
“तुम्हें डर लग रहा है, बस। सिर्फ़ यही बात है।”
“नहीं, नहीं, मुझे डर नहीं लग रहा।”
“तो फिर आ जाओ एडना।”
“अब . . .”
“कम ऑन।”
“अच्छा ठीक है, मैं पंद्रह मिनट में मिलती हूं।”
***
उसका घर एक आधुनिक अपार्टमेंट कॉम्प्लेक्स के सबसे ऊपरी माले पर था। फ्लैट 17। नीचे स्विमिंग पूल में रोशनी चमक रही थी। एडना ने दरवाज़ा खटखटाया। दरवाज़ा खुला और सामने थे मिस्टर लाइटहिल। आगे से गंजे; चील जैसी नाक, जिसके नथुनों से बाल बाहर निकले हुए थे; गले पर खुली हुई शर्ट।
“अंदर आ जाओ, एडना . . .”
वह अंदर घुसी और उसके पीछे दरवाज़ा बंद हो गया। उसने नीली ड्रेस पहन रखी थी। बिना मोजे के सैंडिल और हाथ में सिगरेट।
“बैठो, मैं तुम्हारे लिए पेग बना लाता हूं।”
जगह वाकई अच्छी थी। सब नीला और हरा और बहुत साफ़। पेग बनाते वक़्त मिस्टर लाइटहिल गुनगुना रहे थे। एडना को उनके गुनगुनाने की आवाज़ सुनकर राहत मिली। मिस्टर लाइटहिल — जो — ड्रिंक्स लेकर आया। उसने एडना को गिलास थमाया और फिर कमरे के दूसरी ओर एक कुर्सी पर बैठ गया।
“हाँ,” उसने कहा, “गर्मी तो बहुत हो गई है, बिल्कुल जहन्नुम जैसी। मगर मेरे पास एसी है।”
“मैंने देखा, बहुत अच्छा है।”
“अपना पेग पियो।”
“ओह, हाँ।”
एडना ने एक घूँट पिया। पेग अच्छा था, शराब थोड़ी ज़्यादा थी लेकिन स्वाद सही था। उसने जो को मुंडी पीछे करके पीते हुए देखा। जो की गर्दन पर बहुत सारी झुर्रियाँ थीं और उसकी पैंट कुछ ज़्यादा ही ढीली थी। उसके क़द के लिये बहुत बड़ी। इसलिए उसके पैर थोड़े अजीब लग रहे थे।
“तुम्हारी ड्रेस सुंदर है, एडना।”
“तुमको अच्छी लगी?”
“बिल्कुल। और तुम हट्टी-कट्टी भी हो। ये तुम पर खूब जँचती है।”
एडना ने कुछ नहीं कहा। जो ने भी नहीं। वे बस वहां बैठे रहे और अपने-अपने पेग से घूँट भरते रहे।
ये कुछ बोलता क्यों नहीं है? एडना सोच रही थी। इसको कुछ बात करनी चाहिए। उसकी शख़्सियत में कुछ तो जड़पन था, जैसे वो लकड़ी का बना हो। एडना ने अपना पेग ख़त्म किया।
“एक और ले आता हूं,” जो ने कहा।
“नहीं, मुझे अब चलना चाहिए।”
“अरे, थोड़ा रुक जाओ,” उसने कहा, “एक पेग और पी लो। हमें खुलने के लिए कुछ तो चाहिए।”
“ठीक है, लेकिन इस पेग के बाद मैं पक्का जा रही हूं।”
जो गिलास के साथ रसोई में गया। इस बार वह गुनगुना नहीं रहा था। वह बाहर आया, एडना को गिलास पकड़ाया और वापस कमरे के दूसरे कोने में जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। इस बार पेग में पहले से ज़्यादा शराब थी।
"जानती हो," उसने कहा, "मैं सेक्स वाले क्विज़ में अच्छा करता हूं।"
एडना ने धीरे से घूंट भरा और खामोश रही।
"तुम ऐसे क्विज़ में कैसी हो?" जो ने पूछा।
"मैंने ऐसा क्विज कभी लिया नहीं।"
"तुम्हें लेना चाहिए, पता तो चले कि तुम कौन हो और क्या हो?"
"तुम्हें लगता है कि ऐसी चीज़ें सच में मायने रखती हैं? मैंने उन्हें अख़बार में देखा है। कभी लिया नहीं, लेकिन देखा है," एडना ने कहा।
"बिल्कुल मायने रखती हैं," उसने जवाब दिया।
“हो सकता है, लेकिन मैं सेक्स में अच्छी नहीं हूं,” एडना ने कहा, “शायद इसीलिए मैं अकेली हूं।”
एडना ने अपने गिलास से बड़ा घूँट पिया।
“हममें से हर कोई, आख़िरकार, अकेला ही होता है,” जो ने कहा।
“क्या मतलब?”
“मेरा मतलब है कि चाहे सब कितना ही अच्छा चल रहा हो, सेक्स में, प्यार में, या दोनों में, आख़िर में एक दिन आता है जब सब ख़त्म हो जाता है।”
“बड़ा उदास कर देने वाला विचार है,” एडना ने कहा।
“बिल्कुल। तो फिर एक दिन आता है जब सब ख़त्म हो जाता है। या तो दोनों लोग एक-दूसरे को छोड़ देते हैं या फिर पूरी समस्या एक सुलह में तब्दील हो जाती है: दो लोग साथ तो रहते हैं लेकिन एक-दूसरे से प्यार नहीं करते। मेरा मानना है कि इससे अच्छा तो अकेले रहना है।”
“जो, क्या तुमने अपनी बीवी को तलाक दिया था?”
“नहीं, उसने मुझे।”
“क्या गड़बड़ हुई?”
"सेक्स ऑर्जीज़।"
"सेक्स ऑर्जीज़?"
"तुम जानती हो, सेक्स ऑर्जी दुनिया की सबसे तन्हा जगह होती है। उन ऑर्जीज़ में — मैं एक हताशा महसूस करता था — जब वो लिंग अंदर-बाहर हो रहे होते थे — माफ करना..."
"कोई बात नहीं।"
"वो लिंग अंदर-बाहर हो रहे होते थे, टांगें जकड़ी हुईं, उंगलियां हरकत में, इतने सारे मुँह, हर कोई एक-दूसरे को पकड़ रहा होता, पसीने में डूबा, बस किसी तरह सब कर लेने की ज़िद में।"
"मुझे इन सब चीज़ों के बारे में ज़्यादा जानकारी नहीं है, जो," एडना ने कहा।
"मेरा मानना है कि बिना प्यार के सेक्स कुछ नहीं होता। जब तक लोगों के बीच कोई अहसास न हो, तब तक सब व्यर्थ है।"
"तुम्हारा मतलब लोग एक-दूसरे को पसंद करें, तभी कुछ मायने रखता है?"
"इससे मदद ज़रूर मिलती है।"
"अगर वो एक-दूसरे से ऊब जाएं? अगर उन्हें साथ रहना ही पड़े? आर्थिक मजबूरियां? बच्चे? वो सब?"
"ऑर्जी से कुछ हल नहीं होगा।"
"फिर किससे होगा?"
"शायद… अदला-बदली।"
"अदला-बदली?"
"तुम जानती हो, जब दो जोड़े एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं और फिर साथी बदलते हैं। भावनाओं को कम-से-कम एक मौका तो मिलता है। मान लो, माइक की बीवी मुझे हमेशा से अच्छी लगती है। महीनों से मैं उसे देखता आ रहा हूं। जब वो कमरे के उस तरफ चलती है — उसके हाव-भाव मुझे आकर्षित करते हैं। मैं सोचता हूं कि उसकी चाल के पीछे क्या है। मैंने उसे गुस्से में देखा है, नशे में भी, होश में भी। और फिर, अदला-बदली होती है। तुम उसके साथ कमरे में हो, कम-से-कम उसे जानते हो। कुछ सच्चा हो सकता है। हां, और माइक तुम्हारी पत्नी के साथ है, दूसरे कमरे में। तुमको शुभकामनाएं माइक, तुम सोचते हो, उम्मीद है तुम भी उतने ही अच्छे प्रेमी हो, जितना मैं हूं।"
"और ये ठीक चलता है?"
"मुझे नहीं पता… अदला-बदली के बाद मुश्किलें हो सकती हैं। हर बात को पहले से बहुत अच्छी तरह से समझा और समझाया जाना चाहिए। फिर भी, शायद लोग कभी जान ही नहीं पाते, चाहे जितनी बातें करें..."
"तुम्हें लगता है कि तुम जानते हो, जो?"
"देखो, ये अदला-बदली… कुछ लोगों के लिए अच्छा हो सकता है… शायद बहुतों के लिए। लेकिन मेरे लिए शायद नहीं चलेगा। मैं कुछ ज़्यादा ही संकोची हूं।"
जो ने अपना पेग खत्म किया। एडना ने अपना बचा हुआ पेग मेज़ पर रखा और खड़ी हो गई।
"जो, मुझे अब निकलना होगा..."
जो कमरा पार करता हुआ उसकी ओर आया। उस पैंट में वह हाथी जैसा लग रहा था। एडना ने उसके बड़े-बड़े कान देखे। फिर उसने एडना को पकड़ लिया और चूमने लगा। शराब के बावजूद उसके मुंह की बू साफ महसूस हो रही थी। उससे एक अजीब क़िस्म की खट्टी बदबू आ रही थी। उसका मुँह पूरी तरह एडना के मुँह से नहीं मिल पा रहा था। वो ताक़तवर था, लेकिन उसकी ताक़त स्पष्ट नहीं थी — उसमें याचना थी। एडना ने अपना सिर पीछे की ओर किया, मगर वह अब भी उसे पकड़े हुए था।
औरत चाहिए।
"मुझे जाने दो, जो! तुम बहुत जल्दी कर रहे हो, जो! जाने दो!"
"फिर तुम यहां क्यों आई थी, साली?"
उसने दोबारा एडना को चूमने की कोशिश की और इस बार कामयाब रहा। यह डरावना था। एडना ने अपना घुटना उठाया और उसे ज़ोर से दे मारा। जो लड़खड़ाकर कालीन पर गिर पड़ा।
"हे भगवान, हे भगवान... तूने ये क्यों किया? तूने मुझे मारने की कोशिश की..."
वह ज़मीन पर लोटने लगा।
उसका पिछवाड़ा, एडना ने सोचा, कितना भद्दा है उसका पिछवाड़ा।
वह उसे वहीं कालीन पर तड़पता छोड़कर सीढ़ियों से नीचे भागी। बाहर की हवा साफ थी। उसे लोगों की आवाज़े सुनाई दीं, उनके टीवी सेट की आवाज़ें भी। उसका अपार्टमेंट दूर नहीं था। उसे फिर से नहाने की ज़रूरत महसूस हुई। उसने अपनी नीली ड्रेस उतारी और खुद को रगड़-रगड़ कर धोया। फिर वह टब से निकली, खुद को तौलिये से सुखाया और बालों में गुलाबी कर्लर लगाए। उसने फैसला किया कि अब वह जो से कभी नहीं मिलेगी।