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क़ुर्रत-उल-ऐन हैदर
क़ुर्रत-उल-ऐन हैदर

भारतीय उर्दू उपन्यासकार और लघु कथाकार और पत्रकार कुर्रतुलैन हैदर का जन्म 20 जनवरी, 1927 को हुआ। कुर्रतुलैन उर्दू साहित्य में सबसे उत्कृष्ट और प्रभावशाली साहित्यिक नामों में से एक है। उन्हें उनकी महान क्लासिक रचना 'आग का दरिया' के लिए जाना जाता है। उनका यह उपन्यास भारत विभाजन के बाद 1959 में पहली बार लाहौर, पाकिस्तान से प्रकाशित हुआ। कुर्रतुलैन हैदर को उनके कहानी संग्रह 'पतझर की आवाज़' के लिए उर्दू में 1967 का साहित्य अकादमी पुरस्कार, 'अखिरी शब के हमसफ़र' के लिए 1989 में ज्ञानपीठ पुरस्कार और 1994 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और साहित्य अकादमी फैलोशिप का सर्वोच्च पुरस्कार मिला। 2005 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से भी नवाज़ा। 21 अगस्त, 2007 को उनका निधन हो गया।

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आवारागर्द

'सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहां/ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहां', कुर्तुलऐन हैदर की कहानी 'आवारागर्द' को पढ़ते हुए ख़्वाजा मीर दर्द का यह शेर बरबस ही याद हो आता है. द्वितीय विश्वयुद्ध और उसकी विभीषिका ने यूरोपीय पीढ़ी को किस तरह और कितना प्रभावित किया, यह कहानी इसकी भी बानगी है। एक जर्मन नौजवान, जो अपनी अकेली बूढ़ी मां को पीछे छोड़ दुनिया की सैर पर निकला हुआ है, वह अपनी इस यात्रा में किन-किन अनुभवों से गुज़रता है, यह उसका रोजनामचा है। मगर यह कहानी केवल एक जर्मन नौजवान यात्री का रोजनामचा भर नहीं है, बल्कि एक ऐसा दस्तावेज है, जो बताता है कि अपनी तमाम खूबसूरती के बावजूद, यह दुनिया अभी भी ऐसी जगह बनी हुई है, जहां हिंसा रह-रह कर और लगातार सुलगती रहती है।

October 29, 2022