“लेकिन उन्हें क्या पता था। उन्होंने सोचा कि लाओ डा एक नरम ख़ुरमा है।”
“उसे अपनी तफ़रीह के लिए ख़ूब निचोड़ा।”
“उसके अंदर से एक क़ातिल निचोड़ कर निकाला।”
“लाओ डा से इस तरह आपा खो देने की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी।”
“हैरानकुन बात है कि इंसान कितना कुछ बर्दाश्त करता रहता है और फिर अचानक फट पड़ता है।”
औरतों पर ज़ोर डाला जाता है कि वे अपने सपनों और अपनी कल्पना-शक्ति को मार कर अपने आप को आदर्श पत्नी, आदर्श बेटी, आदर्श बहु, आदर्श माँ वगैरह साबित करें| इस नैतिक दबाव का उनके ऊपर जो असर होता है, उसे नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है| इस कहानी में उस दबाव से पनपी एक मानसिक दशा का उल्लेख है|
एंजेलिका गोरोडिशर