अनुवाद: अक्षत जैन
स्त्रोत: Raiot
वह ऐसी मां की तरह सोता है, जिसकी बेटी को उसके आदमियों ने देर शाम उठा लिया हो। सत्रह साल बीत चुके। हालांकि, अब जब आख़िरकार वह अपनी आंखें बंद कर पाता है, तो उसके सपने में गहरे नीले रंग का गाउन पहने सफ़ेद दाढ़ी वाला आदमी आता है। उसको नहीं पता, लेकिन उसके सपनों में आने वाला यह आदमी जलालुद्दीन रूमी है। रूमी के पास उसके लिए हमेशा एक-से सवाल होते हैं।
पहला सवाल, ‘क्या तुम्हें फ़ारसी समझ आती है?’
अवतार को फ़ारसी समझ तो नहीं आती, लेकिन फिर भी वह ‘हां’ में सिर हिला देता है। जागने पर उसे इस बात से बहुत तकलीफ़ होती है कि अपने सपनों में भी वह झूठा ही है। रूमी फ़ारसी में ही आगे बोलते हैं, जो अवतार को अब समझ आती है, क्योंकि उसने उसके बारे में झूठ बोला होता है।
‘क्या तुम्हें पता है कि कत्ल क्या होता है?’
अवतार जवाब में हां कहना चाहता है, मगर फिर वह अनुमान लगाता है कि सफ़ेद दाढ़ी वाले आदमी के पास कोई खबर हो सकती है, इसलिए अज्ञानता का ढोंग करना ही बेहतर होगा। वह अपना सिर ‘ना’ में हिला देता है। सपनों वाला रूमी उसका जवाब देखकर ऐसे मुस्कुराता है, जिससे अवतार को अपराध बोध का एहसास होता है। फिर रूमी कहते हैं,
‘कत्ल तब होता है जब हत्यारे की आत्मा अपना शरीर छोड़ दे और मज़लूम की आत्मा उसके शरीर में आ जाए।’
इसी क्षण रूमी गायब हो जाते हैं और पसीने में लथपथ और कांपता हुआ अवतार जाग उठता है।
उसकी एक बेटी है, जो हाल ही में दस साल की हुई है। उसकी बेटी उससे, उसकी वर्दी से और विभिन्न किस्म की बंदूकों के साथ उसकी तस्वीरों से प्यार करती है। जब भी वह घर पर होता है, उसकी बेटी जिद करती है कि वह उसे अपनी गोद में बैठने दे। वह बेचैन हो जाता है और इधर-उधर के बहाने बनाकर उसे गोद में बैठाने से मना कर देता है। उसकी बेटी रोने लगती है और अपनी मां से शिकायत करती है। शौहर और बीवी में इस बात पर झगड़ा होता है। आखिरकार, वह माफ़ी मांगता है। मगर अपने अंदर धीरे- धीरे गुस्सा बढ़ता भी महसूस करता है। उसे अपनी इस भावना का कुछ ज़्यादा ही अच्छे से एहसास है।
उसको जब खबर मिली कि सफ़ेद दाढ़ी वाला आदमी मिलिटेंट्स का विचारक है तो उसने केवल बूढ़े आदमी के मनोबल को तोड़ने के लिए उससे जाकर मिलने का निर्णय किया।
उसको यह जानकर बहुत अच्छा लगता था कि कश्मीर के लोग मेजर को आते देख अपने यज़ार में मूत देते हैं। पर जब उसने उस आदमी की गरिमा देखी तो उसके भीतर हिंदुस्तान की गर्मी की तरह गुस्सा बढ़ता गया। वह जहां खुद गलियारे में खड़े होकर दहशतनाक आवाज़ में चीख-चिल्ला रहा था, बूढ़ा आदमी बड़े सब्र के साथ उसको आराम से बैठकर चाय पीने के लिए आमंत्रित कर रहा था।
उसने जब पूछा कि क्या मिलिटेंट कभी इस घर में आते हैं तो बूढ़े आदमी ने बिना किसी हिचकिचाहट के माना कि हां मिलिटेंट उसके घर आते रहते हैं।
अवतार ने फिर कोशिश की, इस बार और खौफनाक आवाज़ में। उसने जानना चाहा की मिलिटेंट उस घर में क्यों आते हैं।
बूढ़े आदमी ने आवाज़ में डर की एक शिकन लाये बिना कहा, ‘वे यहां सलाह-मशवरा करने आते हैं।’
इस बात से अवतार की बस हो गई। वह गुस्से से उफनता कमरे में घुसा और बूढ़े आदमी को लात घूंसे मारने लगा। जैसे ही बूढ़े आदमी के चीखने की आवाज़ पालेदार हवा में गूंजने लगी, वैसे ही उसकी बेटी और नातिन दूसरे कमरे से दौड़ते हुए उसका बचाव करने के लिए आ गईं। बेटी अपने पिता के ऊपर कवच की तरह लिपट गई और नातिन ने, जो अभी किशोरावस्था तक भी नहीं पहुंची थी, अवतार का हाथ पकड़ा और उसे अपने नाना से दूर धकेल दिया। अवतार उसके साहस से अचंभित हो गया। इसके बाद परिवारवालों और अपने आदमियों को हैरान करता हुआ वह बिना कुछ कहे वहां से निकल गया।
अपने कैंप में घूमते हुए उसके विचार बार-बार उसी लड़की पर जा अटकते, वह सोचता कि कैसे उस लड़की ने उसे धक्का दिया। वह अपने मन में उस लड़की के मुंह पर फैलती घिन को दोहराने लगा, जब वह बार-बार अपने आपको उस पर चढ़ाता और वह उसे दूर हटाने की कोशिश करती, मगर कर नहीं पाती। अवतार को लड़की के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ आने लगी, जो उसके लिए संगीत था। उसकी कल्पना में विरोध पीछे छूटकर आनंद में तब्दील हो रहा था। लड़की उसकी गोद में भी बैठ रही थी और उसकी मूंछों को चूम भी रही थी। उस रात शराब के नशे में डूबने के बाद उसने अपने आदमियों को आदेश दिया कि वे उस लड़की को उसके पास लेकर आयें।
लड़की को समझ नहीं आया कि अवतार उसके साथ क्या कर रहा था। वह भयंकर दर्द में थी और उस बच्ची की तरह शांति से सिसकियां भर रही थी, जिसने अपने साथियों के अनंत चिढ़ाने के बाद निर्णय लिया हो कि वह अब और डरपोक बनकर नहीं रहेगी।
सुबह वह किसी भी तरह की शर्म से रहित सिर्फ घृणा और घिन के साथ वहां से निकली अवतार इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाया। आधे घंटे बाद वह उस लड़की के पीछे गया। बूढ़े आदमी को घसीटकर आंगन में लाया और उसे गोली मार दी। फिर उसने अपने आदमियों से कहा कि बूढ़े आदमी के छोटे-छोटे टुकड़े करके नदी में फेंक दें।
वर्षा ऋतु की एक दोपहर जब उसकी बेटी अड़ जाती है कि वह उसकी गोद के सिवा कहीं और नहीं बैठेगी तो अवतार उसे थप्पड़ मार देता है। अवतार के लिए यह चिंता का विषय है कि उसकी बेटी दिन पर दिन बिल्कुल उस दूसरी लड़की की तरह दिखती जा रही है। सारी औरतें एक जैसी होती हैं। उनसे गंध भी बिल्कुल समान आती है, ऐसी चमड़ी की गंध, जो चूस-चूस कर लाल हो गई हो।
उसकी बेटी हाथ से गाल सहलाते और रोते हुए अपनी मम्मी के पास जाती है। उसकी मम्मी बाहर आती है और अवतार के साथ तू-तू मैं-मैं करने लगती है।
अवतार अचानक गुस्से में उठता है और अपनी पत्नी के जोरदार तमाचा जड़ देता है। वह फर्श पर गिर पड़ती है। अवतार उसे लात मारने वाला होता ही है कि उसकी बेटी ज़ोर से चिल्लाते हुए उसे दोनों हाथों से पीछे धक्का देती है। अवतार सोफे पर बैठ जाता है और अपनी आंखें बंद कर लेता है।
रूमी पूछ रहे हैं, ‘क्या तुम्हें कश्मीरी समझ में आती है?’