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आरिफ़ अयाज़ परे
आरिफ़ अयाज़ परे

आरिफ़ अयाज़ परे दुनिया के प्रमुख पक्षी सुरक्षा विश्लेषक हैं| वे अपने खाली समय में लोगों को देखना पसंद करते हैं|

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रात के तीन प्रेमी

'हिंसा की नहीं जाती, करवाई जाती है।' यह वह वाक्य है, जिससे कोई भी आम हिंदुस्तानी कश्मीर की मौजूदा स्थिति को समझ सकता है, जिसे मीडिया और कथित सरकारी टट्टु-लेखकों ने अपने रिसर्च पेपरों में 'चरमपंथियों' के खिलाफ हिंदुस्तानी सेना का युद्ध घोषित कर रखा है। एक आम कश्मीरी क्यों इतना 'हिंसक' हो जाता है? और क्या वह वाकई 'हिंसक' है या उसे हिंसक बनने के लिए मजबूर किया गया है? क्या वजह है कि इतने लंबे समय से लाखों हिंदुस्तानी सैनिकों की मौजूदगी के बावजूद कश्मीर में हिंसा रुकने के बजाय बढ़ती ही जा रही है? आख़िर वे कौन से तथ्य हैं कि एक आम कश्मीरी का गुस्सा इतने चरम पर पहुंचा हुआ है कि जो लोग उनके साथ बदसलूकी करते हैं, उनके पास उन्हें मारने के अलावा और कोई ऑपशन नहीं बचता? ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन्हें प्रस्तुत कहानी के जरिये समझा जा सकता है। कि कैसे हिंदुस्तानी सेना की मौजूदगी ने एक आम कश्मीरी मियां-बीवी की निजी ज़िंदगी को भी इस कद्र प्रभावित किया कि रुक़सान जैसी लड़की ऐसा क़दम उठाने पर मजबूर हो जाती है, जिसे वह शायद ही आम स्थिति में अंजाम देने का सोचती।

November 26, 2022

रामबाण

"अपने लिये जिये तो क्या जिये . . ." इंसान चाहे कहीं भी हों और किसी भी परिस्थिति में हों, वे किसी और के लिए और किसी और के माध्यम से जितने अच्छे से जी सकते हैं, उतने अच्छे से कभी खुद के लिए नहीं जी सकते। आज हम जिनको मानसिक रोग कहते हैं, उन में से अधिकतर इसी बात को न समझ पाने के संकेत हैं। हम क्योंकि ऐसा समझते हैं कि हमें किसी और के लिए नही सिर्फ अपने लिए जीना है, इसलिए हम अपने आप के लिए भी नहीं जी पाते। किसी ने सही ही कहा है, खुद का रास्ता दूसरे से होकर आता है। कुछ इसी तरह की बात इस कहानी में भी बताई गई है। जब हम किसी दुख से निपट नहीं पाते, तो हमें दिमाग को सुन्न करने वाली दवाइयों की नहीं, जीने के कारण की जरूरत होती है, क्योंकि जैसा कि किसी दार्शनिक ने कहा है, अगर इंसान के पास जीने की वजह है, तो वह किन्हीं भी परिस्थितियों को झेल सकता है। और किसी और के लिए जीने से अच्छी जीने की वजह क्या हो सकती है।

July 29, 2023