मेरे भतीजे के नाम पत्र

अमरीकी काले युवाओं को संबोधित यह ख़त जेम्स बाल्डविन ने पचास साल पहले लिखा था। इस ख़त की प्रासंगिकता अमरीका में आज भी वैसी ही है जैसी कि इसके लिखते समय थी, साथ ही यह ख़त हिंदुस्तान के जातिवादी समाज के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है। हिंदुस्तान में भी सैंकड़ों युवाओं को केवल इसलिए मार दिया जाता है कि वे अपनी जाति, पहचान और सामाजिक दर्जे से अलग हटकर कुछ नया करना चाहते हैं। वे बताना चाहते हैं कि समाज ने जो पहचान उन पर थोप दी है, वे उससे कहीं बेहतर है। लेकिन हमारा समाज इस आवाज़ को बस्तियों में ही दबाकर ख़त्म कर देना चाहता है। बिना किसी अपराधबोध के, पूरी निर्दोषता के साथ। ऐसे अपराधी खुद के ऊंची जाति में होने का फायदा उठाते हैं और विभिन्न तरीकों से जातिवाद को बरकरार रखने के लिए सक्रिय रहते हैं। लेकिन अगर आप इनसे कभी जाति की बात करते हैं तो कहते हैं कि ‘बड़े कड़वे’ हो रहे हो। निचली जातियों के प्रतिरोध से ऊंची जाति के लोगों को डर लगता है। उनको डर लगता है कि वे अपनी पहचान खो देंगे। ऊंची जाति का होना उनकी पहचान है, और ज़ाहिर है कि जातिवाद का विनाश होने पर उनकी यह पहचान भी नहीं रहेगी। इसके विपरीत एक जो सवाल पैदा होता है वह यह है कि क्या हर पहचान पवित्र है? क्या हमें ऐसी पहचानों को नहीं ठुकराना चाहिए जो दूसरों के शोषण का आधार बनती हों? यह लेख सिर्फ़ अमरीका के काले युवाओं के लिए ही नहीं, यह हिंदुस्तान के दलित, मुसलमान, आदिवासी और अन्य सभी पिछड़ी जाति के युवाओं के लिए भी है। यह लेख दुनिया के उन सभी युवाओं के लिए है जो अपने-अपने देश और समाज में नस्लवाद और जातिवाद जैसी घिनौनी व्यवस्थाओं और धारणाओं से पीड़ित हैं। ऐसे युवाओं के लिए बाल्डविन के यह शब्द तब तक याद रखने लायक रहेंगे जब तक नस्लवाद और जातिवाद का पूरी तरह से खात्मा नहीं हो जाता: ‘जो भी वे मानते हैं, करते हैं और उसे तुम्हें भोगने पर मजबूर करते हैं, वह तुम्हारी हीनता को बयान नहीं करता, बल्कि उनकी अमानवीयता और डर को उजागर करता है।’

मेरे भतीजे के नाम पत्र

पटचित्र: पोला मनेली 

अनुवाद: अक्षत जैन और अंशुल राय
स्त्रोत: The Progressive Magazine  

प्रिय जेम्स,

यह खत मैंने पांच बार लिखना शुरू किया और हर बार फाड़ दिया। मैं जब भी तुम्हें याद करता हूं तुम्हारे चेहरे के साथ तुम्हारे पिता का चेहरा भी मेरी आंखों के सामने आ जाता है। तुम्हारे पिता मेरे भाई हैं। मैंने तुम दोनों को बचपन से देखा है। तुम्हारे पिता को अपनी गोद में खिलाया है, अपने कंधों पर घुमाया है और उन्हें चलना सीखते देखा है। उन्हें प्यार से चूमा है और गुस्से में फटकारा भी है। मुझे नहीं मालूम कि तुमने इतने लम्बे समय तक किसी को जाना और प्यार किया है या नहीं। किसी को पहले एक शिशु, फिर बच्चे और उसके बाद एक मर्द की तरह जानने से समय, संवेदना और मानवीय प्रयासों को समझने का एक अनोखा दृष्टिकोण प्राप्त होता है।

मैं तुम्हारे पिता में वह देख पाता हूं जो औरों को नज़र नहीं आता। उनके आज के चेहरे में वे सारे चेहरे छुपे हैं जो उनके अतीत में हुआ करते थे। उनकी मुस्कुराहट में मुझे वह तलघर और मकान दिखता है, जो अब उनकी स्मृति में नहीं है। उनकी हंसी में मुझे बचपन की हंसी सुनाई पड़ती है। उनके झल्लाने पर मुझे उनका सीढ़ियों से गिरना और दहाड़े मारकर रोना याद आता है। मुझे उनके वे आंसू आज भी याद हैं, जिनको तुम्हारी दादी या मेरे हाथों ने प्यार से पोंछा था। मगर आज ऐसा कोई हाथ नहीं है जो उन आंसुओं को पोंछ सके जो तुम्हारे पिता मन ही मन बहाते हैं और जिनकी गूंज उनकी हंसी, बोली और गीतों में भी सुनाई पड़ती है।

मैं जानता हूं दुनिया ने मेरे भाई के साथ क्या किया और वह किस कठिनाई से खुद को ज़िंदा रख पाया। वह अकेला नहीं है। मेरे देश और देशवासियों ने इसी तरह हजारों-लाखों ज़िंदगियां तबाह की हैं और अब भी कर रहे हैं। मगर इससे भी बुरा यह है कि वे इस सबसे अनजान हैं और अनजान ही बने रहना चाहते हैं, यही वह अपराध है जिसका मैं उन्हें दोषी ठहराता हूं। इस अपराध के लिए न तो मैं और न ही इतिहास उनको कभी माफ कर पाएगा। हम विनाश और मृत्यु के विषय में कठोर और दार्शनिक बातें कर सकते हैं, और हमें करनी भी चाहिए, क्योंकि हमेशा से अधिकतर मानव जाति युद्ध करने और मरने-मारने को आतुर रही है; याद रखना की मैंने कहा कि अधिकतर मानव जाति, मगर यह सही नहीं है कि तबाही मचाने वाले खुद को निर्दोष समझें। यह निर्दोषिता ही उनका अपराध है।

तो अब, मेरे प्रिय हमनाम, तुम्हारे ये निर्दोष एवं भला चाहने वाले देशवासी ही हैं जिनकी वजह से तुम्हारा जन्म ऐसी परिस्थितियों में हुआ जिनका विवरण चार्ल्स डिकेंस ने आज से सौ साल पहले के लंदन में किया था। मुझे उन मासूमों के एक साथ चिल्लाने की आवाज़ आ रही है, ‘नहीं, यह सच नहीं है, तुममें कितनी कड़वाहट भरी है।’ लेकिन यह ख़त मैं तुम्हें यह बताने के लिए लिख रहा हूं कि इन लोगों से कैसे पार पाना है, क्योंकि इनमें से अधिकतर को तो यह भी नहीं मालूम कि तुम जीवित हो। मुझे पता है कि तुम किन परिस्थितियों में पैदा हुए थे, क्योंकि मैं वहां मौजूद था। तुम्हारे देशवासी वहां नहीं थे और अभी तक भी वहां नहीं पहुंच पाएं हैं। तुम्हारी दादी भी वहीं थीं। मगर किसी ने कभी उन पर कड़वाहट से भरे होने का आरोप नहीं लगाया। मेरा सुझाव है कि यह निर्दोष लोग कम से कम उनसे एक बार जाकर पूछ लें कि वे तुम्हारे जीवन की परिस्थितियों के बारे में क्या सोचती हैं। उनको ढूंढना मुश्किल नहीं है, लेकिन तुम्हारे देशवासियों को तुम्हारी दादी तक के जीवित होने का पता नहीं है, जबकि उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी तुम्हारी दादी से काम करवाया है।

तो, लगभग पंद्रह वर्ष पहले तुम्हारा जन्म हुआ और तुम हमारे पास आए। उस समय तुम्हारे माता-पिता और दादी के सामने कठिन हालात थे, जहां से वे तुम्हें लाए थे उन सड़कों पर और जहां वे तुम्हें ले गए उन दीवारों पर उदासी के बादल थे, लेकिन वे फिर भी उदास नहीं हुए, क्योंकि तुम उनके पास आए थे, बिग जेम्स, मेरे हमनाम। तुम भरे-पूरे बच्चे थे। मैं नहीं था। तुम प्यार और स्नेह पाने के लिए यहां थे। एक साथ ढ़ेर सारा प्यार और स्नेह, जो तुम्हें हमेशा के लिए इस प्रेम विहीन दुनिया के खिलाफ मजबूत बनाएगा। यह याद रखना। मैं जानता हूं तुम्हारे लिए आज सब कितना काला है। सब कुछ उस दिन भी उतना ही काला था। हां, हम कांप रहे थे और हमने अभी भी कांपना बंद नहीं किया, लेकिन अगर हमने आपसी प्यार को न संजोया होता तो हम में से किसी के भी ज़िंदा बचने की आस न होती। अब तुम्हें भी अपने बच्चों और उनके भी बच्चों के खातिर ज़िंदा रहना है। इसलिए भी क्योंकि हम तुमसे प्यार करते हैं।

इस निर्दोष राष्ट्र ने तुम्हें सिर्फ़ बस्तियों (घेट्टो) में जगह दी। उन्होंने यह इस नियत से किया कि तुम वहीं मर-खप जाओ। इस बात पर ध्यान दो कि मेरा इससे क्या आशय है, क्योंकि बात का निचोड़ यही है और मेरा अपने देश से बैर का कारण भी। तुम यहां पैदा हुए और तुम्हें इस भविष्य का सामना करना पड़ा क्योंकि तुम काले हो, इसका कोई दूसरा कारण नहीं है। तुम्हारी महत्वाकांक्षा को पहले ही अंतिम स्वरूप दे दिया गया। तुम्हारा जन्म ऐसे समाज में हुआ जिसने भयंकर बर्बरता से एवं असंख्य मायनों में यह जताने का प्रयास किया कि तुम एक निठल्ले इंसान हो। तुमसे श्रेष्ठ होने की उम्मीद नहीं की जाती। तुमसे उम्मीद की गई कि तुम हमेशा औसत बनो और शांत रहो। धरती पर इस छोटे से अंतराल में तुमने जहां कहीं भी रुख किया, तुम्हें बताया गया कि तुम कहां जा सकते हो, क्या और कैसे कर सकते हो, कहां रह सकते हो और किससे शादी कर सकते हो।

मुझे पता है तुम्हारे देशवासी मेरी बातों से सहमत नहीं हैं। मैं उनकी खिन्नता महसूस कर सकता हूं और उनकी आवाज़ सुन सकता हूं, ‘तुम बात का बतंगड़ बना रहे हो।’ वे हारलेम को नहीं जानते। मैं जानता हूं। तुम भी जानते हो। किसी की भी बातों पर अंधविश्वास मत करो, मेरी भी नहीं। सिर्फ़ अपने अनुभवों पर भरोसा रखो। यह जानो कि तुम कहां से आए हो। अगर तुम जानते हो कि तुम्हारा आरंभ किस पृष्ठभूमि से हुआ है तो ऐसी कोई सीमा नहीं है जिसे तुम लांघ न सको। गोरे तुम्हें बताना चाहते हैं कि तुम कौन हो और इसलिए उन्होंने तुम्हारी ज़िंदगी को यह रूप दिया है। हमेशा याद रखना कि जो भी वे मानते हैं, करते हैं और उसे तुम्हें भोगने पर मजबूर करते हैं, वह तुम्हारी हीनता बयान नहीं करता, बल्कि उनकी अमानवीयता और डर को उजागर करता है।

प्रिय जेम्स, आज तुम्हारे युवा दिमाग में एक तूफान-सा उठ रहा है। इस तूफान में तुम्हें ‘स्वीकृति’ एवं ‘एकीकरण’ जैसे शब्दों के पीछे छिपी हुई वास्तविकता को स्पष्ट भांपने की आवश्यकता है। कोई कारण नहीं कि तुम गोरों जैसा बनने की कोशिश करो और उनकी इस लज्जाहीन धारणा का कोई आधार नहीं, जो कहती है कि उन्हें तुम्हें स्वीकारना ही होगा। सबसे भयावह बात तो यह है मेरे दोस्त कि तुम्हें उन्हें स्वीकारना होगा, और यह मैं पूरी गंभीरता के साथ कह रहा हूं। तुम्हें उन्हें स्वीकारना होगा, वह भी स्नेह के साथ, क्योंकि मुझे इन निर्दोष लोगों में और कोई उम्मीद नजर नहीं आती। असलियत में वे अभी भी ऐसी ऐतिहासिक उलझनों के शिकार हैं जिनको वे समझ नहीं पाते और जब तक वे इनको समझ नहीं लेते तब तक उनको इनसे छुटकारा नहीं दिलाया जा सकता। वर्षों से एवं असंख्य कारणों से उन्हें यह मानना पड़ा कि काले लोग गोरों से निम्नतर हैं। यह सच है कि उनमें से कई लोग इससे बेहतर समझ रखते हैं, मगर तुम आगे चलकर सीखोगे कि लोगों को अपनी समझ पर अमल करने में कितनी दुविधा महसूस होती है। किसी कार्य को अंजाम देने का अर्थ है समर्पित हो जाना, और समर्पित होने का मतलब है खतरा मोल लेना, डर का सामना करना। ज्यादातर गोरे अमरीकियों के दिल और दिमाग में इस डर ने कब्जा कर रखा है कि वे अपनी पहचान खो देंगे। इस बात की कल्पना करो कि वह कैसा मंज़र होगा जब तुम एक सुबह जागो और पाओ कि सूरज कंपकंपी ले रहा है और सितारों में आग लगी है। तुम डर जाओगे, क्योंकि यह प्रकृति के नियमों के परे है। ब्रह्माण्ड में किसी भी प्रकार की कायापलट सहमा देने वाली होती है, क्योंकि वह हमारी बनाई हुई चेतना पर सीधा धावा बोलती है। काले आदमी का जीवन गोरे आदमी की दुनिया में एक स्थापित तारे की तरह क्रियाशील रहा है, एक अचल स्तंभ की तरह। फिर जैसे ही काला आदमी अपनी जगह से विस्थापित होगा तो पूरी कायनात की स्थिर नींव हिल जाएगी।

तुम डरना मत। मैंने कहा ना कि यह पहले से ही प्रायोजित था कि तुम अपनी बस्तियों में ही नष्ट हो जाओ, तुम ख़त्म हो जाओ। गोरे आदमी की बनाई परिभाषा के नीचे, सही से अपना नाम लिए बगैर दबकर ध्वस्त हो जाओ। तुमने और हम में से बहुतों ने इस इरादे को मात दी है। मगर एक भयानक कानून एवं विरोधाभास से, वे मासूम लोग, जिन्हें विश्वास था कि तुम्हारे बंदीकरण से वे सुरक्षित रहेंगे, आज वास्तविकता पर अपनी पकड़ खो रहे हैं। लेकिन ये लोग तुम्हारे भाई हैं, तुम्हारे भटके हुए छोटे भाई और अगर ‘एकीकरण’ शब्द का कोई अर्थ है तो यही कि हम प्यार से अपने भाइयों को खुद की स्थिति पर गौर करने के लिए विवश करें, ताकि वे वास्तविकता से मुंह मोड़ना बंद कर उसे बदलने की कोशिश कर सकें। मेरे दोस्त यही तुम्हारा घर है। कोई तुम्हें यहां से निकाल नहीं सकता। बहुत से महान व्यक्तियों ने यहां शानदार काम किए हैं और आगे भी करेंगे। हम अमरीका को वह जगह बना सकते हैं जो उसे वास्तव में होना चाहिए।

यह बहुत मुश्किल होगा जेम्स, लेकिन तुम एक कुशल कृषक वंश से आते हो, जिन्होंने कपास चुनने का काम किया, नदियां अवरुद्ध कीं, रेल की पटरियां बिछाई और विकट परिस्थितियों के चंगुल से निकलते हुए चिरस्मरणीय एवं अजेय गरिमा हासिल की। तुम उन महान कवियों की लंबी श्रेणी से आते हो जो होमर के बाद सबसे सर्वश्रेष्ठ कवियों में गिने जाते हैं। उन्हीं  में से एक ने कहा था: ‘बिल्कुल, उसी वक्त जब मुझे लगा कि मैं हार चुका हूं, मेरी कालकोठरी हिलने लगी और मेरी ज़ंजीरें खुल गईं।’

तुम जानते हो और मैं भी जानता हूं कि हमारा देश स्वतंत्रता के सौ वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है, सौ वर्ष पहले ही। हम आज़ाद नहीं हो सकते जब तक वे आज़ाद नहीं होते। भगवान तुम्हारी रक्षा करे जेम्स। उम्मीद है तुम सफल रहोगे। 

तुम्हारे अंकल,
जेम्स

 

(इस लेख को एडिट करने में रोमी अरोरा और शहादत खान ने मदद की है)

जेम्स बाल्डविन
जेम्स बाल्डविन

जेम्स बाल्डविन (1924–1987) को बीसवीं सदी के सर्वश्रेष्ठ अमरीकी लेखकों में से एक माना जाता है। उन्होंने अमरीकी समाज की जड़ों में गहरे तक धंस चुके नस्लवाद को अपनी कहानियों, उपन्यासों और लेखों में इतनी स्पष्टता के साथ बयान किया था कि बहुत से लोग उनके लेखन से प्रभावित हुए और आज भी हो रहे हैं। बाल्डविन... जेम्स बाल्डविन (1924–1987) को बीसवीं सदी के सर्वश्रेष्ठ अमरीकी लेखकों में से एक माना जाता है। उन्होंने अमरीकी समाज की जड़ों में गहरे तक धंस चुके नस्लवाद को अपनी कहानियों, उपन्यासों और लेखों में इतनी स्पष्टता के साथ बयान किया था कि बहुत से लोग उनके लेखन से प्रभावित हुए और आज भी हो रहे हैं। बाल्डविन अपने लेखन के जरिए अमरीका के उस तथाकथित सभ्य समाज को नस्लवाद के उन गड़े मुर्दों का सामना करने के लिए विवश करते थे जिनको भुलाकर लोग आराम की ज़िंदगी गुज़ारना चाहते हैं। बाल्डविन खुद को शांति भंग करने वाले के रूप में देखते थे। उनका मानना था कि अमरीका जैसे नस्लवादी और आत्मसंतुष्ट समाज में चेतना जगाना एक कलाकार का परम कर्तव्य है। वह मानवता की समानता में विश्वास रखते थे और उनका मानना था कि यह गोरों की नैतिक कायरता है जो कालों को इंसान का दर्जा नहीं दे पाती और कालेपन को हीनता, बर्बरता और अराजकता से जोड़ती है। यही कारण है कि बाल्डविन मरते दम तक अपने लेखन के जरिए नस्लवाद के खिलाफ आंदोलनरत रहे।