पीयूष पंत
पीयूष पंत एक जाने माने अनुवादक हैं जिन्होंने कई रचनाओं का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद किया है।
एमिल सिओरन की पुस्तक 'The Trouble with Being Born' एक गहन दार्शनिक रचना है जिसमें उन्होंने अस्तित्व और जन्म की विडंबनाओं पर विचार किया है। इस पुस्तक में सिओरन ने जीवन की अनिवार्यता और उसके साथ जुड़ी व्यर्थता का विश्लेषण किया है। उनके अनुसार, जन्म लेना एक प्रकार की त्रासदी है, और वे इस बात को विभिन्न आत्म-मननशील और निराशावादी टिप्पणियों के माध्यम से प्रकट करते हैं। इस पुस्तक में दर्शाए गए विचार जीवन के प्रति एक गहरी संवेदनशीलता और अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जिससे यह दर्शन के छात्रों और विचारशील पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण पठन बन जाता है। यह उस पुस्तक का पहला अध्याय है।
यह कहानी न केवल एक परिवार की फरवरी के तूफानी मौसम में संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि फ़लस्तीन के मुद्दे पर विचार करने वाले व्यापक सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को भी शामिल करती है। कहानी में, पारिवारिक संवादों और मातृक भय के माध्यम से ऐतिहासिक संघर्ष और फ़लस्तीनी संकट की गहराई को उजागर किया गया है, जो व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक बंधनों पर इसके प्रभाव को दर्शाता है।
जब गांधी से अपनी बात नहीं मनवाई गई, तो उन्होंने जेल से अनशन शुरू कर दिया। यह उनके अपने सत्याग्रह के सिद्धांतों के बिल्कुल खिलाफ था – यह तो सीधा ब्लैकमेल था।
जिस देश ने अति-भारी सैन्य बल के ज़रिये कश्मीर पर अवैध क़ब्ज़ा जमा रखा है, वही देश कश्मीर में आज़ाद चुनाव आयोजित करवाने के बड़े-बड़े दावे करता दिखता है। इस विडंबना के कारण कई अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं। एक ऐसी वारदात का ज़िक्र अख़्तर मोहिउद्दीन इस अनोखी कहानी में करते हैं।
एकबाल अहमद आतंकवाद के विषय पर बात करके बताते हैं कि आतंकवाद को किन तरीकों से रोका जा सकता है: दोहरे मापदंडों के अतिरेक से बचें। अगर आप दोहरे मापदंड अपनाते हैं, तो आपको भी दोहरे मापदंडों से ही जवाब मिलेगा। इसका इस्तेमाल मत करें। अपने सहयोगियों के आतंकवाद का समर्थन न करें। उनकी निंदा करें। उनसे लड़ें। उन्हें सज़ा दें। कारणों पर ध्यान दें और उन्हें सुधारने की कोशिश करें। समस्याओं के मूल कारणों को समझें और हल निकालें। सैन्य समाधान से बचें। आतंकवाद एक राजनीतिक समस्या है, और इसका समाधान राजनीतिक होना चाहिए। राजनीतिक समाधान खोजें। सैन्य समाधान समस्याएं बढ़ाते हैं, सुलझाते नहीं। कृपया अंतरराष्ट्रीय क़ानून के ढांचे को मज़बूत करें और उसे सुदृढ़ बनाएं।
यह छोटी-छोटी कुछ पंक्तियों की कहानियां हैं जो मानव दशा के बारे में बहुत कुछ कह जाती हैं।
प्राचीन लोग ये कहानियां समय बिताने के लिए या बच्चों को सबक सिखाने के लिए या आपको यह बताने के लिए नहीं सुनाते थे कि शब्द “एको” कहां से आया। क्या आपको लगता है कि हमने उनके पॉप कल्चर को लेकर उसे अपने साहित्य में बदल दिया? ये कहानियां केस स्टडी की तरह थीं, ध्यान करने के लिए: आप इनमें क्या देखते हैं?
यह कहानी न केवल एक परिवार की फरवरी के तूफानी मौसम में संघर्ष को दर्शाती है, बल्कि फ़लस्तीन के मुद्दे पर विचार करने वाले व्यापक सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों को भी शामिल करती है। कहानी में, पारिवारिक संवादों और मातृक भय के माध्यम से ऐतिहासिक संघर्ष और फ़लस्तीनी संकट की गहराई को उजागर किया गया है, जो व्यक्तिगत जीवन और पारिवारिक बंधनों पर इसके प्रभाव को दर्शाता है।
जिस देश ने अति-भारी सैन्य बल के ज़रिये कश्मीर पर अवैध क़ब्ज़ा जमा रखा है, वही देश कश्मीर में आज़ाद चुनाव आयोजित करवाने के बड़े-बड़े दावे करता दिखता है। इस विडंबना के कारण कई अजीबोगरीब घटनाएं होती हैं। एक ऐसी वारदात का ज़िक्र अख़्तर मोहिउद्दीन इस अनोखी कहानी में करते हैं।
यह छोटी-छोटी कुछ पंक्तियों की कहानियां हैं जो मानव दशा के बारे में बहुत कुछ कह जाती हैं।
हिंसा सिर्फ प्रत्यक्ष और उपद्रवी रूपों से नहीं होती। कभी-कभी हिंसा सामान्य तरीके से भी की जाती है, शांति से, भावनाओं के साथ खेल कर, सामने वाले में डर पैदा करके। यह कहानी ऐसी ही हिंसा के बारे में है।
कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं जो अच्छे-भले इंसानों को हैवान बनने पर मजबूर कर देती हैं। कश्मीर के अंदर भारतीय राज्य की भूमिका कुछ ऐसी ही परिस्थितियों को बनाने और बनाए रखने की रही है। कश्मीर पर अपना अवैध राज कायम रखने के लिए भारतीय राज्य एक कश्मीरी को दूसरे कश्मीरी से लड़ने पर मजबूर करता है। जबकि कश्मीरी मजबूरी में बुरे काम कर रहे हैं और इसलिए अपनी इंसानियत कहीं न कहीं बचा पा रहे हैं, भारतीय राज्य अपनी इंसानियत अपनी स्वेच्छा से पूरी तरह से खो चुका है।
जब मैं दस साल की थी, मेरी ही उम्र की मेरी एक सहेली थी जिसका नाम सकीना था। जब हम मित्र थे, उस समय मेरे परिवार में छः बेटियां थीं। तब तक मेरे दोनों छोटे भाई पैदा नहीं हुए थे। सकीना सात बड़े और विवाहित बेटों के बाद की एक मात्र बेटी थी। वह हमारे घर के ठीक सामने रहती थी किन्तु उसके पिता बहुत सख़्त थे इसलिए उसे घर से बाहर लम्बे समय तक खेलने की अनुमति नहीं थी। जब वह अपने घर का काम पूरा कर लेती, उसकी मां उसे चुपचाप हमारे पिछवाड़े के अहाते में आने देती। उस समय उसके पिता अपराह्न की झपकी ले रहे होते।
एक दिन मुझ पर स्पष्ट हुआ कि मैं उड़ सकता हूं। मेरे पर नहीं हैं मगर मैं हवा में तैर सकता हूं। एक रोज़ दोपहर से ज़रा पहले मुझे एक सिपाही ने रोका। उस सिपाही की ज़िम्मेदारी थी कि वह बाज़ारों में फिरने वाले मोटे लड़कों को शर्मिंदा करे। मैं मोटा था और मुझे मोटापे पर क़ाबू पाने के लिए बहुत-सी तर्तीब दी गई थीं। पुलिस के कारिंदे पूरे शहर की गलियों में खुंबियों की तरह पाए जाते थे।
यह एक ऐसा टकराव था, जिसका तजुर्बा कोई इन्सान कभी नहीं करना चाहेगा, लेकिन यह एक ऐसा टकराव था, जिससे गुरेज़ भी नहीं किया जा सकता था। उसकी कहानी मुझे ख़ुद उस लौंडी ने नहीं बल्कि दक्षिणी समुंद्री लहरों की भारी और नीरस गरज ने सुनाई थी, जो नौअग्राद के प्राचीन और अंधेरे क़िले की बुनियादों से टकराती हैं। एक रात मेरी हवेली की तन्हाई में मुझ तक यह आवाज़ पहुंची; उसने मुझे मेरी पहली नींद से जगाया और मजबूर किया कि मैं उसकी कहानी सुनूं।
एमिल सिओरन की पुस्तक 'The Trouble with Being Born' एक गहन दार्शनिक रचना है जिसमें उन्होंने अस्तित्व और जन्म की विडंबनाओं पर विचार किया है। इस पुस्तक में सिओरन ने जीवन की अनिवार्यता और उसके साथ जुड़ी व्यर्थता का विश्लेषण किया है। उनके अनुसार, जन्म लेना एक प्रकार की त्रासदी है, और वे इस बात को विभिन्न आत्म-मननशील और निराशावादी टिप्पणियों के माध्यम से प्रकट करते हैं। इस पुस्तक में दर्शाए गए विचार जीवन के प्रति एक गहरी संवेदनशीलता और अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जिससे यह दर्शन के छात्रों और विचारशील पाठकों के लिए एक महत्वपूर्ण पठन बन जाता है। यह उस पुस्तक का पहला अध्याय है।
जब गांधी से अपनी बात नहीं मनवाई गई, तो उन्होंने जेल से अनशन शुरू कर दिया। यह उनके अपने सत्याग्रह के सिद्धांतों के बिल्कुल खिलाफ था – यह तो सीधा ब्लैकमेल था।
एकबाल अहमद आतंकवाद के विषय पर बात करके बताते हैं कि आतंकवाद को किन तरीकों से रोका जा सकता है: दोहरे मापदंडों के अतिरेक से बचें। अगर आप दोहरे मापदंड अपनाते हैं, तो आपको भी दोहरे मापदंडों से ही जवाब मिलेगा। इसका इस्तेमाल मत करें। अपने सहयोगियों के आतंकवाद का समर्थन न करें। उनकी निंदा करें। उनसे लड़ें। उन्हें सज़ा दें। कारणों पर ध्यान दें और उन्हें सुधारने की कोशिश करें। समस्याओं के मूल कारणों को समझें और हल निकालें। सैन्य समाधान से बचें। आतंकवाद एक राजनीतिक समस्या है, और इसका समाधान राजनीतिक होना चाहिए। राजनीतिक समाधान खोजें। सैन्य समाधान समस्याएं बढ़ाते हैं, सुलझाते नहीं। कृपया अंतरराष्ट्रीय क़ानून के ढांचे को मज़बूत करें और उसे सुदृढ़ बनाएं।
प्राचीन लोग ये कहानियां समय बिताने के लिए या बच्चों को सबक सिखाने के लिए या आपको यह बताने के लिए नहीं सुनाते थे कि शब्द “एको” कहां से आया। क्या आपको लगता है कि हमने उनके पॉप कल्चर को लेकर उसे अपने साहित्य में बदल दिया? ये कहानियां केस स्टडी की तरह थीं, ध्यान करने के लिए: आप इनमें क्या देखते हैं?
भले ही पर्यावरणविद् और शोधकर्ता ऐसी मीठी-मीठी बातें करते हों कि पानी की पहुंच एक मौलिक मानव अधिकार है, लेकिन वे इस तथ्य को पूरी तरह से नज़रंदाज़ करते हैं कि जाति इस मौलिक अधिकार की वास्तविक प्राप्ति में सबसे महत्वपूर्ण बाधा है।
प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की बात आने पर भारत में बवाल उठ जाता है। तर्क छोड़ कर लोग तरह-तरह की भावनात्मक बातें करने लगते हैं। मेरिट या योग्यता को पिटारे से निकाल कर हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाने लगता है। जबकि आरक्षण के विरोधियों के पास डाटा-आधारित सामाजिक या आर्थिक दलीलें नहीं हैं, वे फिर भी ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला कर अपनी बात मनवाने पर अटल हैं। अगर वाद-विवाद से बाहर निकलकर आरक्षण के बारे में कुछ जानना चाहते हैं, तो इस लेख को पढ़ के जानिए की प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण क्यों जरूरी है। अगर आप कुछ सीख कर इस पहल के समर्थक बनना चाहते हैं तो राहुल सोनपिम्पले द्वारा संस्थापित All India Independent Scheduled Castes Association (AIISCA) से जुड़िये और उनकी जो मदद कर सकें वो करिए। https://aiisca.org
बुरके और हिजाब को लेकर आज कल हिंदुस्तान में काफी बवाल चल रहे हैं। यह सब नया नहीं है। औरतों के ऊपर काबू पाने और रखने की राजनीति बहुत पुरानी है। यहां के हिंदुओं के प्रहार के सामने मुसलमान औरतें क्यों नकाब पहनती हैं या उतारती हैं, वह समझने में हमें यह लेख मदद कर सकता है। इस लेख में फ़्रांस के प्रहार के आगे अल्जीरिया की औरतों के बर्ताव को समझाया गया है। नकाब पहनना या उतारना औरतों के लिए इतना जरूरी नहीं है जितना कि वह न करना है जो कि उनके दुश्मन उनसे करवाना चाहते हैं। उसके अलावा, नकाब पहनना या उतरना एक भावुक विकल्प नहीं, बल्कि एक रणनीतिक विकल्प है।